तेरे मेरे दिल का रिस्ता
अभी-अभी
अंकुरित हुआ है
अभी लताएँ
नई-नई हैं
अभी पत्तियां
बड़ी कोमल हैं
अभी तो पौधा
और बढ़ेगा
अभी सघन
ये वृक्ष बनेगा !
फलों की लालसा मुझे नहीं है
तपती दोपहरी में
दो राहगीरों को
शीतल घनी छाँव
ये देगा
मेरा ये अहसास बहुत है
तेरा ये अहसान बहुत है !