Editorial

उत्तराखण्ड ने बयां की अपनी 17 साल के सफर की कहानी (वीडियो)

हल्द्वनी: आज उत्तराखण्ड का स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है। उत्तराखण्ड आज के ही दिन यानी 9 नवंबर साल 2000 में जन्मा था। राज्य आज बालिक अवस्था में चला गया है। इस राज्य को देवभूमि भी कहा जाता है।इसी कारण से उसे ईश्वर ने प्राकृतिक सौंदर्य तोहफे के रूप दिया है। राज्य की यह खूबसूरती पूरी दुनिया को अपनी ओर खींचती है। उत्तराखण्ड देश का 27वां राज्य था। राज्य ने पिछले 17 सालों में अपनी उन्नति पाने के लिए कई दुख भी झेले है। आज हम आपकों उत्तराखण्ड की जुबान उसकी कहानी बताएंगे।

 

उत्तराखण्ड क्रांति दल के तले मेरी आजादी के लिए संघर्ष शुरू हुआ। इसी संघर्ष के दौरान कुछ ऐसा हुआ जिसने देश में सभी को हिलाकर रख दिया। यह वाक्या है 1 अक्टूबर 1994 की रात का। उस रात प्रदर्शनकारी दिल्ली की ओर बड़ रहे थे। लेकिन पुलिस ने उन्हें रामपुर तिराहे पर रोककर निर्दोश और निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर गोली चला दी। जिससे कई प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई। लेकिन इसके बाद जो हुआ वो और भी भयानक और शर्मसार करने वाला था। उस रात स्त्रियों के साथ अन्याय हुआ जिसने इंसानियत को झंकोर कर रख दिया था।  मैं आज भी उन लोगों के बलिदान को नमन करता हूं।

मुझे आज भी याद है कि 24 सितंबर 1998 को उत्तरप्रदेश विधानसभा ने प्रस्ताव पास कर मेरे निर्माण का मार्ग प्रश्स्त किया। इसके दो साल बाद भारतीय संसद ने भी इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी और 9 नबंवर 2000 को मेरा जन्म हुआ।  

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