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उत्तराखण्ड में जीएसटी और नोटबंदी ने एक और जिंदगी छीनी, ट्रांसपोर्टर ने की आत्महत्या

 

नई दिल्ली: हल्द्वानी के ट्रांसपोर्टर प्रकाश पांडे की मौत ने पूरे देश में सुर्खियां बटोरी थी। प्रकाश पांड ने जीएसटी और नोटबंदी को अपना घर बर्बाद होने का कारण बताया था। उन्होंने देहरादून में जहर खाकर आत्महत्या कर दी थी। पांडे को कारोबार में बहुत नुकसान हुआ था और उन पर कर्ज दिन भर दिन बढ़ता जा रहा था। उन्होंने इस दवाब में आकर अपनी जान दे दी। प्रकाश पांडे की तरह राजधानी में एक और ट्रास्पोर्टर ने व्यापार में हुए घाटे के कारण आत्महत्या कर ली। इस घटना के बाद एक बार फिर सरकार के फैसले सवाल के घेरे के अंदर आ गए है। क्या सरकार के फैसले लोगों की जिंदगी छीन सकते हैं इसका जवाब पीडित परिवार खोज रहा है। क्या सरकार केवल घटना होते हुए देखेगी या कोई फैसला किया जाएगा।

देहारदून निवासी ट्रांस्पोर्टर बलवंत भट्ट ने जीएसटी और नोटबंदी के कारण हुए घाटे के चलते आत्महत्या करना बेहतर समझा। इस बारे में परिजनों समेत ट्रक एशोसिएशन ने ख़ुदकुशी करने वाले ट्रांस्पोर्टर बलवंत भट्ट की मौत की वजह जीएसटी ओर नोट बंदी के बाद कारोबार में हुआ मोटा नुक़सान ओर कर्ज को ही बताया है। मृतक ने एक सुसाइड नोट भी लिखा।

बलवंत ने सुसाइड नोट में लिखा है कि वह कर्जे के चलते बेहद परेशान है। उसने कहा है कि वह अपने परिवार को मुश्किल में छोड़कर जा रहा है और इसके लिए उसने  माफ़ी मांगी है।बता दें कि बलवंत की 2 बेटियां हैं और एक बेटा है।बलवंत अपने परिवार के अकेले कमाने वाला था। इस घटना के बाद पूरा परिवार सदमे में है।थाना पटेलनगर क्षेत्र के कश्मीरी कॉलोनी में परिवार सहित रहने वाले बलवंत ने मंगलवार को ज़हर खा लिया था, जिसके बाद पुलिस ने उसे कोरोनेशन अस्पताल में भर्ती किया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था। बुधवार को भट्ट का अंतिम संस्कार भी कर दिया गया है।

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