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उत्तराखण्ड सरकार ने खेल बजट में 40 करोड़ रुपये की कटौती कर खिलाड़ियों का मनोबल गिराया

नैनीताल: 24 मार्च 2018

गुरुवार को उत्तराखण्ड विधानसभा में साल 2018-2019 का बजट पेश किया। सरकार ने इस बजट को किसान और आम जनता के हितकारी बताया । इसके अलावा सरकार इसे हर वर्ग का बजट बोल रही है। इस साल के बजट ने खिलाड़ियों को भी झटका दिया है। ये वही खिलाड़ी है जो राज्य का प्रतिनिधित्व करते है। खेल के मैदान पर कई खिलाड़ियों ने राज्य को गौरवान्वित महसूस कराया है। पिछले एक साल में उत्तराखण्ड के युवाओं ने देश और विदेश में अपनी कामयाबी की स्क्रिप्ट तैयार की है लेकिन सरकार केवल तारीफ से काम पूरा करना चाहा रही है तभी तो पिछले साल के मुकाबले इस साल खेल विभाग के बजट में करीब 40 करोड़ रुपये की कटौती हुई है। नेशनल गेम्स के लिये होने वाले कार्यों के लिये भी बजट प्रावधान कम हुआ है। ये खिलाड़ियों को क्या संदेश देता है। आप मेहनत करो हम सुविधा नहीं देंगे।

पिछली और मौजूदा सरकारों को इस तरह के रवैये के कारण ही राज्य के खिलाड़ी दूसरे स्टेट से खेलते है। जब वहां कामयाबी मिलती है जो सरकार उन्हें अपना कहने पर जोर देती है। इसका सबसे बड़ा उदाहारण है क्रिकेट है। पिछले एक दशक से क्रिकेट के क्षेत्र में उत्तराखण्ड ने अपनी पहचान सबसे अलग बनाई है। देश में होने वाली अधितकर क्रिकेट प्रतियोगिता में उत्तराखण्ड के खिलाड़ी खेलते है और अपनी पहचान अपने खेल से मनाते है। लेकिन ना राज्य को बीसीसीआई से मान्यता मिल रही है ना ही सरकार का बजट खिलाड़ियों और खेल को पहचान देने के हित कार्य नहीं कर रहा है।

38वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी संभाल रहे उत्तराखंड सरकार खिलाड़ियों की तैयारी के लिए विदेशी कोचों को बुलाने की बात कर रहा है लेकिन उसका रोडमेप इस साल के बजट में बिल्कुल भी दिखाई नहीं दिया है।नेशनल गेम्स के लिए पिछले साल के 14 करोड़ के मुकाबले इस बार चार करोड़ की कटौती करते हुए केवल 10 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है। इसी तरह खेल विभाग का बजट 96 करोड़ से घटाकर 56 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

राज्य सरकार के बजट ने खिलाड़ियों को किया खासा निराश

स्पोट्र्स कॉलेज संचालन पर हर साल करीब पांच करोड़ रुपये खर्च आता है। इस बार पिछले साल की भांति इसके लिए साढ़े तीन करोड़ का प्रावधान किया गया है। खर्च के हिसाब से डेढ़ करोड़ की देनदार कॉलेज पर पिछले साल की चली आ रही है। उत्तराखंड ओलंपिक संघ डा. डीके सिंह के अनुसार खेल के प्रति सरकार का ये रवैये समझ से परे है। राज्य राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी करने वाला है और सरकार ने बजट से कटौती कर दी। क्या इस तरह से  सूबे के एथलेटिक्स, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, जूडो, शूटिंग, बॉक्सिंग आदि खेलों के खिलाड़ी उच्चस्तरीय पर अपनी पहचान बना पाएंगे।

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