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उत्तराखंड क्रिकेट को BCCI से मिल सकती है मान्यता !

नैनीताल:क्रिकेट का खुमार पूरे देश में रहता है। भारत में क्रिकेट को धर्म की तरह पूजा जाता है। उत्तऱाखण्ड के खिलाड़ियों ने भी क्रिकेट में अपना नाम रोशन किया है। लेकिन एक ऐसा पड़ाव भी है जहां उत्तराखण्ड के युवा क्रिकेटरों को निराश होना पड़ता है। उत्तराखण्ड क्रिकेट को बीसीसीआई से मान्यता प्राप्त नहीं है इस कारण से कई खिलाड़ियों का करियर प्रथम श्रेणी तक ही रह जाता है। कुछ खिलाड़ियों ने राज्य छोड़कर दूसरे राज्य की टीम से खेलना शुरू किया। इस दिशा में राज्य के खुशखबरी आई है।सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एम खनविलकर और न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड की पीठ ने की क्रिकेट प्रशासक समिति को सभी लंबित मामलों को निपटाने के साथ जनवरी के दूसरे हफ्ते कोर्ट में जानकारी देने को कहा है।  बता दे कि 22 नवंबर को उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन के दिव्य नौटियाल की ओर से पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली जे सोराबजी और सुमन खेतान ने मुख्य न्याधीश दीपक मिश्रा की बेंच में एक हस्तक्षेप याचिका दाखिल की थी। याचिका में गुजारिश की थी कि  BCCI बनाम अन्य एसोसिएशन के साथ उत्तराखंड की मान्यता के मामले को भी सुना जाए।

राज्य को बीसीसीआई की मान्यता न मिल पाने का कारण राज्य में चार क्रिकेट एसोसिएशनों का आपसी झगड़ा है जो अपने-अपने एसोसिएशनों को बीसीसीआई से मान्यता दिलवाना चाहते हैं। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2016 में लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों के आधार पर कहा था कि उत्तराखंड को बीसीसीआई की मिलनी चाहिए। जिसके बाद उत्तराखंड राज्य क्रिकेट से बीसीसीआई ने कहा था कि जब तक सारे एसोसिएशन अपना झगड़ा निपटा नहीं लेते तब तक मान्यता मिलनी मुश्किल है।वर्तमान में उत्तराखंड में चार क्रिकेट एसोसिएशन अपने-अपने तरीके से काम कर रहे हैं। इन एसोसिएशनों में उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन (यूसीए), क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ़ उत्तराखंड (सीएयू) उत्तरांचल क्रिकेट असोसिएशन (यूसीए) और यूनिटेड क्रिकेट एसोसिएशन (यूसीए) का नाम है।

बीसीसीआई ने कहा था कि अगर उत्तराखंड के सारे एसोसिएशन एक बैनर के नीचे आ जाये तो उसे मान्यता देने में कोई समस्या नहीं है।  चार एसोसिएशनों के झगडे के कारण उत्तराखंड  के क्रिकेट प्रतिभाओं का भविष्य संकट में पड़ गया है।देश के लिए खेलने के सपने देख रहे युवा दूसरे राज्य को खेलेने के लिए भटकना पड़ता है। इससे उनका खेल कम उम्र ज्यादा बढ़ती रहती है और देश के लिए खेलने का सपना अंधेरे में आ जाता है। अंडर 16 और 19 के खिलाडी दिल्ली यूपी, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा से खेल रहे हैं मिसाल के तौर पर पवन नेगी दिल्ली, मानवी जोशी यूपी, एकता बिष्ट, श्वेता वर्मा, सौरभ रावत (ओडिशा)  जैसे खिलाड़ी दूसरे राज्यों से खेल रहे हैं।

 

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