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खैरना: बिना संसाधन और शिक्षकों का आदर्श विद्यालय

 भवाली: पंकज जीना:नीरज जोशी:सरकारी प्राथमिक स्कूलों के गिरते शिक्षा स्तर को रोकने और छात्रों के भविष्य को पंख देने के लिए राज्य में  सरकार ने आदर्श विद्यालय की नींव रखी। इसके पीछे सरकार ने दो कारण एक निजी स्कूलों के छात्रों का आगें होना और दूसरा सरकारी स्कूलों से छात्रों की गिरती संख्या। इसके तहत प्रत्येक ब्लाक में दो सरकारी प्राथमिक और एक उच्च प्राथमिक विद्यालय समेत कुल तीन विद्यालयों को आदर्श विद्यालय बनाने का फैसला किया गया था। आदर्श विद्यालयों की संकल्पना के समय ऐसे विद्यालयों को आदर्श विद्यालयों का दर्जा दिया गया जो सरकार के  शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कार्यों की सफलता को दिखाए जिसमें वो साऱी खूबियां हो जो छात्रों को उज्जवल भविष्य की रचना का मार्ग दिखाए।  जहां अंग्रेजी से लेकर इंटरनेट का उपयोग छात्रों के लिए कोई चमत्कार नही केवल एक सोर्स रहें।

principleadarshschool/haldwanilive

खैरना में स्थित पंडित गोविंद बल्लभ पंत इंटर कॉलेज को 2016 में आदर्श विद्यालय का दर्जा मिला था।  हल्द्वानी लाइव डॉट.कॉम  की टीम ने  आदर्श विद्यालय की वास्तविकता जानने का प्रयास किया तो कुछ ओर ही सामने आया। जो सपने सरकार ने आदर्श विद्यालयों के निर्माण के वक्त छात्रों संग अभिभावकों को दिखाए थे उनमें अभी तक उड़ने के लिए पंख ही नहीं लगे है।  वर्तमान में यहां पुस्तकालय तो है परंतु रसायन विज्ञान की प्रयोगशाला नहीं है। इस विद्यालय में प्रधानाचार्य का स्थायी पद रिक्त है साथ ही 22 शिक्षकों में से 13 शिक्षक ही उपलब्ध हैं।विद्यालय प्रशासन की तरफ से कार्यवाहक प्रधानाचार्य का श्री  मुकेश चंद्र मिश्रा संभाल रहे है। उनके अनुसार  शिक्षकों के पदों को भरे जाने से छात्रों के भविष्य को उज्जवल किया जा सकता है।

वास्तविक़ता यह है कि आदर्श विद्यालय काग़जों में प्रस्तुत तो किये गये हैं परंतु संसाधनों और शिक्षको की नियुक्ति को पूर्ण रूप से पूरा नहीं किया गया। मुकेश चन्द्र ने बताया कि कम्प्यूटर  तो विद्यालय में है लेकिन कम्प्यूटर शिक्षक न होने के कारण बच्चों को पढ़ाने में बहुत परेशानी होती है।  साथ ही ALT के विद्यालय में आठ पद है जिनमें से अभी भी दो पद रिक्त है। प्रवक्ता में भी बारह पद है जिनमे पाँच अभी भी रिक्त है। मिश्रा ने बताया की किसी तरह हमारे शिक्षको द्वारा बच्चों को अच्छी शिक्षा दी जाने की पूरी कोशिश की जा रही है और हमारे विद्यालय से हर साल छात्र-छात्राएं टॉप कर विद्यालय का नाम रोशन कर रहे है। अभी 2015- 16 सत्र में छात्रा अंजू पांडे 90% और किरन 92%  लाकर प्रदेश में विद्यालय का सिर ऊँचा किया है।

लेकिन जिन आदर्श विद्यालयों की निजी स्कूलों के साथ तुलना किए जाने के सपने देखे जाते है वहां अध्यापकों का गायब होना योजना की पोल खोलता है। जिस उद्देशय से इन प्राथमिक स्कूलों को आदर्श विद्यालय का दर्जा दिया गया वो बिना संसाधन और शिक्षकों के पूरा करना का प्रयास किया जा रहा है जो छात्रों के भविष्य के साथ एक प्रकार का व्यंग करने जैसा है।

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