मेरी यही इल्तिज़ा रब से !
तू एक चमन गुलज़ार बने
तू हँसे सुबह सी लाली सा
तेरी बाते खनके दोपहर सी
तेरी शामें महकें फूलों सी
तेरी रातें सब मस्तानी हों !
तू ख़ुशी में याद करे न करे
तेरे गम मुझसे अनजाने न हों
है आरजू यही मेरी तेरे लिए
तू कभी ग़मों से दो चार न हो !