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अपनी फिल्मों के जरिए कुमाऊं के लोगों के दिल में तेजी से जगह बना रहे है “विकास कत्यूरा”

 

 

 

 

हल्द्वानी: आज के मॉर्डन वक्त में युवा मॉर्डन ही सोच रहा है। उसे मॉर्डन जिंदगी जीनी है और उसके लिए वो अपना परिवार छोड़ने को भी तैयार है। बात उत्तराखण्ड की करें तो राज्य को पलायन नाम का ऐसा श्राप मिला है जिसने पहाड़ों के 80 प्रतिशत घरों को खाली है दिया है। आगे बढ़ने की होड़ ने लोगों को अपनी संस्कृति से ही दूर कर दिया है। लेकिन आज हम एक ऐसे युवा की बात करने जा रहे है जिसकी जड़ उत्तराखण्ड से जुड़ी है और वो यही अपनी एक अलग मंजिल पाना चाहता है। फिल्मों में काम करने का मन अगर किसी का हो तो वो मुंबई की ओर रुक करता है लेकिन विकास कत्यूरा ऐसा नहीं सोचते है। विकास अपने कुमाऊं में ही अपनी खास पहचान बनाना चाहते है और उसके लिए वो जिस दिशा में काम कर रहे है वो कुमाऊं के लोगों को भी प्रेरित कर रहा है। विकास फिल्म राइटर और डायरेक्टर है । उनका खुद का आनंदी प्रोडक्शन हाउस है। आनंदी प्रोडक्शन और विजन सोशल सोसाइटी के बैनर तले उत्तराखण्ड को लेकर दो शॉर्ट फिल्में वो बना चुके है। दोनो ही फिल्मों ने उन्होंने इस सोच की निंदा की है जिसके हिसाब से उत्तराखण्ड में भविष्य नहीं चमकाया जा सकता ।  उन्होंने अपनी दोनों फिल्मों में पलायन नामक शब्द को पूर्ण तरीके से उखाड़ने का प्रयास किया है।

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विकास की पहली फिल्म का नाम था “पहला कदम”। इस फिल्म में युवा पीढ़ी का अपने गांव से नाता तोड़ने जैसी क्रम को दिखाया था। फिल्म को लोगों ने खूब पसंद किया और 3.5 लाख लोगों ने इसे सोशल मीडिया में देखा। विकास ने अपनी पहली कामयाबी के बाद अपनी रफ्तार को और बड़ा दिया। इस बार उनका इरादा युवाओं को प्रेरित कर पलायन पर ऐसी चोट करने का था जिससे उसके पतन की शुरूआत हो। इस फिल्म का नाम है ” मेरा उत्तराखण्ड”। इस फिल्म में विकास ने दिखाया है कि एक डॉक्टर अपने गांव इसलिए वापस आता है क्योंकि उसे अपने लोगों की सेवा करनी है। विकास की दोनों ही फिल्मों ने युवाओं को प्रेरणा से भरा संदेश दिया और शायद इसलिए विकास तेज गति से आगे बढ़ते दिख रहे है। इस फिल्म को कभी लाखों लोगों ने पंसद किया।

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विकास ने एक्टिंग मुंबई से रोशन तेनजा से सीखी लेकिन वो अपनी कला को पहाड़ के कैमरे से निखारना चाहते है। विकास के बढ़ते कदम ने दिखा दिया है कि अगर मन में कोई संकल्प हो और अपनी भूमि पर आप गर्व करते हो तो आप अपनी मंजिल यहां  भी पा सकते हो। विकास कहते है कि मेरा सौभाग्य है कि मैं  देवभूमि में जन्मा। अपनी अपनी भूमि की सेवा करके उसका ये कर्ज चुकाने की पूरी कोशिश करूंगा। बता दे कि पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहे है और पोस्ट ग्रेजुएशन के छात्र है।

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