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देवभूमि उत्तराखण्ड का आर्यन बनेगा भारतीय टीम का अगला धोनी !

 

 

नई दिल्ली: भारत के महान पूर्व कप्तान व मौजूदा खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी अपने करियर के आखिरी पड़ाव में है। धोनी ने भारतीय क्रिकेट के लिए जो क्या शायद ही किसी ने किया हो। धोनी शानदार कप्तान रहे, एक शानदार बल्लेबाज और विकेटकीपर भी है। धोनी ने उन सभी क्षेत्र में टीम के लिए योगदान दिया जिसके लिए टीम ने उनसे कहा।  बीबीसीसीई ने धोनी का विकल्प खोजने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। बीसीसीआई अब भारतीय टीम के लिए विकेटकीपरों की सेना तैयार कर रहा है जो आने वाले वक्त में धोनी का स्थान ले सकते हैं।इसके लिए आने वाली 27 तारीख से नेशनल क्रिकेट एकेडमी (एनसीए) में कैंप लगाया जाना है। इस कैंप में  नमन ओझा और अंडर-19 विश्वविजेता टीम में शामिल रहे इस्मित पटेल समेत सात विकेटकीपर हैं जो इस कैंप का हिस्सा होंगे। इस लिस्ट में हल्द्वानी आर्यन जियाल का नाम भी है। आर्यन शानदार बल्लेबाज होने के साथ एक अच्छे विकेटकीपर भी हैं। यह  कैंप 5 दिन का होगा। इस महीने की 27 से लेकर 31 अगस्त तक की तारीख आर्यन के करियर को एक नई उड़ान दे सकती है। अगर आर्यन इस कैंप में चयनकर्ताओं का ध्यान अपनी ओर खिंचने में कामयाब रहे तो उत्तराखण्ड एक और धोनी को भारतीय टीम में उतार सकता है। बता दे महेंद्र सिंह धोनी भी उत्तराखंड के ल्वाली गांव के रहने वाले हैं। लेकिन बाद में धोनी झारखंड चले गए थे।

आर्यन ने अपने क्रिकेट की शुरुआत तीन साल की उम्र में की। उन्होंने साल 2010 में आर्यमान विक्रम बिरला की ओर से खेलते हुए अंडर-14 प्रतियोगिता में शतक लगाया। यह आर्यन के क्रिकेट करियर का पहला शतक था।  इसके बाद उन्होंने  अभिमन्यु क्रिकेट ऐकेडमी से क्रिकेट खेला। साल 2011 में आर्यन उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की अंडर-14 टीम में शामिल हुए। उन्होंने तीन साल तक अंडर-14 टीम की ओर से खेला और बेहतरीन खेल दिखाया है। 2016-17 में आर्यन ने सेंट्रल जोन की कप्तानी की। इसके साथ ही उन्होंने सबसे ज्यादा रन भी बनाए थे। इसके अलावा इंटर जोनल अंडर-16 टूर्नामेंट में भी आर्यन कप्तान रहे ।पहले भी नेशनल कैंप में ट्रेनिंग ले चुके हैं। आर्यन के हुनर को देखते हुए उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने कैंप के लिए बीसीसीआइ को आर्यन का नाम सुझाया था। बता दे कि आर्यन के पिता डॉक्टर संजय जुयाल भी क्रिकेट के काफी बड़े फैन है। हल्द्वानी में होने वाली हर क्रिकेट प्रतियोगिता में जाकर वह युवा खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन करते हैं।

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