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मायावती के फूलपुर चुनाव लड़ने से बीजेपी परेशान …

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति में अचानक शुरू हुए इस्तीफे के सिलसिले ने सारे समीकरण बिगाड़ दिए है। इससे उत्तर प्रदेश की राजनीति सुर्खियों में आ रही है।    राज्यसभा से मायावती के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी संसद की सदस्यता से इस्तीफा देने जा रहे है। उसके अलावा  उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे पर सस्पेंस अभी बरकरार है। खबर ये आ रही है कि मौर्य को भाजपा केंद्र की राजनीति में ले सकती है।  अगर अगले कुछ दिनों में फूलपुर लोकसभा सीट से उनका इस्तीफा नहीं हुआ तो सरकार की ओर से बड़े बदलाव हो सकते है। इसके अलावा कई नेता पार्टी छोड़ भाजपा का दामन थाम सकते है। मायावती के इस्तीफे ने इस बात की संभावना बढ़ा दी है कि वह  फूलपुर सीट पर संभावित उप चुनाव में संयुक्त विपक्ष की उम्मीदवार हो सकती है। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य फूलपुर से मौजूदा सांसद हैं। मायावती यदि संयुक्त विपक्ष की उम्मीदवार बनेंगी तो भाजपा को इस सीट को हासिल करने में काफी मशक्कत का सामना करना पड़ सकता है।  वैसे भी दो साल बाद लोकसभा चुनाव होने वाले है और भाजपा एक सीट गंवाने का जोखिम नहीं लेना चाहेगी।  इसलिए भाजपा फूलपुर सीट का उपचुनाव टाल सकती है।

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राष्ट्रपति चुनाव के संपन्न होने के बाद यह चर्चा तेज़ हो गई कि योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य लोकसभा की सदस्यता छोड़ेंगे। मायावती के राज्यसभा से इस्तीफे के बाद उनका कांग्रेस, सपा और बसपा के साथ संयुक्त विपक्ष का उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चाएं जोरों से चल रहे हैं। वहीं भाजपा इस वक्त हार का सामना करने का जोखिम नहीं ले सकता है तो उसकी मंशा होगी कि वो फूलपुर सीट का उपचुनाव टाल दे। वैसे भी राज्यसरकार के गठन के बाद से सीएम और उपसीएम एक दूसरे के साथ तालमेल बैठाने में नाकाम रहे है जिससे पार्टी की कमियां सामने आ सकती है। अब  अगर भाजपा कैशल मौर्या का इस्तीफा नहीं कराती है और उप राष्ट्रपति वैकया नायडू के स्थान पर उन्हें दिल्ली न्योता देती है उसकी परेशानी दूर हो सकती है।

 

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