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मेजर लीतुल गोगोई पर गर्व है, अपने जवानों को मरने का आदेश नहीं दे सकता: सेना प्रमुख बिपिन रावत

नई दिल्ली: कश्मीर घाटी में पत्थरबाजों से निपटने के लिए सेना के जीप पर कश्मीरी युवक को बांधने के लिए सम्मान पाने वाले मेजर लीतुल गोगोई पर बहस खत्म नहीं हो रही है। भारतीय सेना प्रमुख बिपिन रावत भी इस शब्दों के मैदान पर उतर आए है। उन्होंने  मेजर लीतुल गोगोई का समर्थन लिया और बचाव करते हुए कहा कि वो अपने लड़कों को लड़ने के लिए कह सकते हैं, मरने के लिए नहीं। उन्होंने कहा कि अगर मेरी सेना पर कोई वार कर रहा है तो मैं उन्हें चुप बैठने को नही बोल सकता। सेना प्रमुख ने कहा कि ये एक छद्म युद्ध है और छद्म युद्ध हमेशा गंदा होता है। जम्मू कश्मीर में हो रही देश विरोधी गतिविधियों से निपटने के लिए नए-नए तरीके खोजने की जरूरत है। और मेजर लीतुल गोगोई का कार्य भी ऐसा नहीं था। उन्होंने अपनी और कई लोगों की ज़ान बचाई है।  उन्हें इसलिए सम्मानित किया ताकि आतंकवाद प्रभावित राज्य में बेहद कठिन हालात में काम कर रहे सेना के नौजवान अफसरों का मनोबल बढ़ाया जा सके। जब लोग हमपर पत्थर और पेट्रोल बम फेंक रहे हों तो मैं अपने लोगों से ‘देखते रहने और मरने’ के लिए नहीं कह सकता।

 

एक इंटरव्यू में भारतीय सेना अध्यक्ष ने कहा कि ‘मैं चीफ के तौर पर अपने लड़कों से क्या कहूं? क्या मैं उनसे ये कहूं कि मैं उनके शव को अच्छे ताबूत और तिरंगे में लपेट कर पूरे सम्मान के साथ घर पहुंचा दूंगा। मेरा काम ये नहीं बल्कि वहां लड़ रहे सैनिकों का मनोबल ऊंचा बनाए रखना मेरा फर्ज है।’रावत ने कहा, मेजर लीतुल गोगोई को सम्मानित किए जाने का मुख्य उद्देश्य यही है कि जब भी कोर्ट ऑफ इंक्वायरी खत्म हो, हमारे जांबाज युवा अधिकारियों का आत्मबल बढ़ा हुआ हो। ये जवान बहुत ही विकट परिस्थितियों में आतंकवाद प्रभावित इस इलाके में सुरक्षा इंतजाम को देखते हैं।

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