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सुबह फोन पर बताया था कि घर को मिस कर रहा हूं और शाम को सभी से दूर चला गया जैमल

नई दिल्ली: पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर आत्मघाती हमले में 44 जवान शहीद हो गए। शहीदों के शव शुक्रवार रात दिल्ली के पालम एयरपोर्ट लाए गए। इस हमले में मोगा जिले के गांव गलोटी निवासी जैमल सिंह शहीद हो गए।शादी के करीब 16 साल बाद उनके घर में खुशियों की लहर दौड़ी जब उनके बेटे का जन्म हुआ। बताया जा रहा है कि शहीद के 5 वर्षीय बेटे गुरप्रकाश की  सुबह ही अपने पिता से फोन में बात हुई थी, वो कह रहे थे शाम को बात करेंगे अभी यहां ट्रैफिक में फंसे हैं,लेकिन इसके बाद हर तरफ खामोशी छा गई।

शहीद की पत्नी सुखजीत कौर ने बताया कि सुबह उनका फोन आया था और उनहोंने बताया कि वे श्रीनगर जा रहे है, शाम को पहुंच कर बात करूंगा,यहां ट्रैफिक बहुत है, उन्हें परिवार की बहुत याद आ रही है।लेकिन वो शाम पूरे भारत देश और जैमल के परिवार के लिए मातम में तबदील हो गई। सुखजीत कौर का कहना है कि उन्हें रात करीब साढ़े दस बजे पुष्टी हुई कि आंतकी हमले के दौरान शहीद हुए 44 जवानों में जैमल सिंह भी शामिल हैं।जिसके बाद शहीद के परिवार और पूरे गांव गलोटी में मातम छा गया। जब यूनीट को एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट किया जा रहा था, तब सीआरपीएफ की बस को वही चला रहें थे।जैसे ही जवानों का काफिला पुलवामा पहुंचा, तभी एक गाड़ी ने बस में टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भयंकर थी की ध़माके से बस से परखच्चे उड़ गए।

जैमल सिंह का जन्म 26 अप्रैल 1974 में हुआ था। जैमल सिंह 19 साल की उम्र में सीआरपीएफ में भर्ती हो गए थे। जैमल सिंह अपने बेटे के काफी करीब थे और वो अपने बेटे से काफी देर तक फोन पर बातें किया करते थे। करीब 15 दिन पहले जैमल छुट्टी पर आए थे और उनके आते ही परिवार में खुशियों की लहर आ गई, लेकिन किसे पता था कि उनके परिवार की खुशियों में इस तरह ग्रहण लग जाएगा। वहीं शहीद जैमाल सिंह के चाचा गुरचरन सिंह ने इस हमले का दोषी भारत सरकार को करार दिया। उन्होंने कहा कि सरकार को सैनिकों की सुरक्षा के लिए भी कदम उठाने चाहिए। वहीं उन्होंने इस हमले में शामिल ताकतों को मुंहतोड़ जवाब देने की बात कही है।

 

 

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