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हल्द्वानी: एक खिलाड़ी व शिक्षक को उसके शिष्यों ने बनाया गुरु द्रोणाचार्य

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बात अगर कमलेश तिवारी की कोच की भूमिका की करें तो यहां उनका द्रोणाचार्य रूप देखने को मिलता है। वो पिछले 14 सालों से आर्यमान विक्रम बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ लर्निग स्कूल के ताइक्वांडो की भूमिका निभा रहे। बिरला स्कूल ने देश हो या विदेश जहां ताइक्वांडो प्रतियोगिता में भाग लिया वहां पदक हासिल किया है।

 

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FLASH BACK: कोच और शिष्यों की कामयाबी को सलाम कर रहा है पूरा प्रदेश

कमलेश के शिष्यों के डंका हर प्रतियोगिता में बजता है। इस लिस्ट में श्रेया कांडपाल,लोकेश कांडपाल,शुभांगनी साह, दीप्ती पंत,सार्थक बहुगुणा,अनुराग बिष्ट,समृद्धि बहुगुणा, आयुषी, उत्कर्ष बिष्ट,गौरी बिष्ट, रितिका जोशी, गर्वित,जयवर्धन,मानस ,त्रितिक्शा कपिल, अमन और हार्थिक शामिल है। इन सभी खिलाड़ियो को पूरा राज्य इनके ताइक्वांडो के कारनामों से जानता है।  वो कोच के तौर पर जर्मनी, सिंगापुर , चीन , मलेशिया,थाइलैंड और कनाडा जा चुके है।

Flash Back-तायक्वोंडो:आर्यमान विक्रम बिड़ला की सीबीएसई नोर्थ ज़ोनल चैंपियनशिप में हैट्रिक

कमलेश की कोचिंग में स्कूल ने हासिल किया है ताइक्वांडो में रुतबा लिस्ट

  • 2014 सीबीएसई बोर्ड चैंपियनशिप आगरा
  • 2014 ईस्ट जोन चैंपियनशिप
  • 2015 एसजीएफआई उपविजेता
  • 2015 ईस्ट जोन उपविजेता
  • 2016 एसजीएफआई उपविजेता
  • 2016 ईस्ट जोन उपविजेता ( बालिका वर्ग)

कमलेश तिवारी की पूरी कहानी ये बहां करती है कि उन्होंने खिलाड़ी और कोच के तौर पर एक शानदार काम किया है। लेकिन कमलेश तिवारी अपनी कोच की भूमिका से ज्यादा संतुष्ट दिखाई देते है। उन्होंने बताया कि व्यक्तिगत तौर कोई मुझसे कोई भूमिका के बारे में पूछता है तो मैं कोच के तौर पर ही जवाब देता हूं। मेरी कामयाबी के पीछे मेरे शिष्यों का हाथ है क्योंकि हमने हर वक्त एक टीम के रूप में अभ्यास किया है। हर जीत को टीम के रूप में इंजॉय किया है। इससे खिलाड़ियों का मनोबल हर वक्त बढ़ा रहता है। कमलेश एक सफल द्रोणाचार्य है और ये उनके शिष्यों की कामयाबी हम सभी को बताती है।

 

 

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