Editorial

हमारा कोई होता तो ऐसे मजबूरी का फायदा नहीं उठाया जाता

एक उत्तराखंड के पलायनवादी पत्रकार का खुलेआम चल रही लूट पर दर्द..


हेमराज चौहान :​उत्तराखंड परिवहन निगम के अल्मोड़ा डिपो ने रविवार को शानदार काम किया. इसके लिए उनकी पूरी टीम की सराहना होनी चाहिए. उन्होंने अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करते हुए लोगों को सुरक्षित उनके गंत्वय स्थल तक पहुंचने के लिए अधिक से अधिक बसें उपलब्ध कराई. इससे खासतौर पर गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को खासा फायदा हुआ जो अधिक किराया खर्च करके जाने में असमर्थ थे. वहीं दूसरी तरफ टैक्सी स्टैंड वालों ने देवभूमि पर फिर एक बार कलंक लगाया. लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर और उनकी जान खतरे में डालकर लोगों से अवैध किराया वसूला. कोई भी टैक्सी वाला ये दावा कर दे कि वो सवारियों को तय रेट पर लेकर गया तो मेरे लिए सुखद अनुभूति होगी. ये सब हर बार त्योहारों और शादी के सीजन में होता है पर आवाजें नहीं उठती. इसका कारण हम सबका का स्वार्थी हो जाना है.जब तक आप विरोध नहीं करेंगे आपको दबाया जाएगा. मैंने कल तय किया कि ज्यादा किराया नहीं दूंगा भले ही दूसरे दिन एक दिन की सैलरी गंवानी पड़ी.

जानता हूं ये हर कोई नहीं कर सकता सबकी अपनी सीमाएं हैं. लेकिन आप लोगों से निवेदन है कि इसे बढ़ावा मत दे. जितना विरोध हो सकता है अपने स्तर से दर्ज कराएं. यकीन मानिए असर होगा. सिस्टम को दोष देने से कुछ नहीं होता उसे आप हम सब मिलकर बनाते हैं.जब तक जनता का दवाब नहीं बनेगा ये लूटते रहेंगे और हमारा शासन प्रशासन इस मिलाभगत में शामिल होता रहेगा. हमारे जनप्रतिनिधि जिन्हें हमने चुना है वो मामले की जानकारी ना होने की दुहाई देते रहेंगे. उत्तराखंड राज्य के बनने की वजह थी कि ज्यादा संसाधन और उस पर पहाड़ का विशेष अधिकार. पहाड़ के लोगों को उनकी ईमानदारी के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है पर सोचिए कल किसी टूरिस्ट ने जब इस लूट का सामना किया होगा तो वो क्या हमारी छवि ले जाएगा. वो ये नहीं कहेगा कि फलाना टैक्सी वाला चोर था वो ये कहेगा कि पहाड़ के लोग लूटेरे है,भ्रष्ट है. अब आप सोचिए आपको क्या करना है मैं थक हार कर दिल्ली पहुंचने के बाद ये पोस्ट कर रहा हूं जबकि मैं ऑफिस को लेट हो रहा हूं. अब कुछ लोग इसे मेरा पब्लिसिटी स्टंट बताएंगे तो ऐसे लोगो कान खोलकर सुनो मुझे इन्हें करने में मजा आता है. आपकी आलोचना मेरे हौसले और बुलंद करती है. मैं अपना काम पूरी ईमानदारी से करता हूं आप अपने गिरेबान में झांककर देखिए हकीकत मुंह उठाए आपको आईना दिखा देगी. आप हम पर हंसते रहे सिस्टम आप पर हंस रहा है. एक अच्छी नौकरी और बंगला गाड़ी की चाह से भी बाहर एक दुनिया है.

 

नोट- यह लेखक की सोच और उनकी रिपोर्ट पर आधारित है।

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