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अल्मोड़ा बनेगा कश्मीर, केसर का उत्पादन देना नई पहचान , किसानों को बड़ी उम्मीद

हल्द्वानी: पर्यटकों द्वारा धरती का स्वर्ग बताया जाने वाला हमारा उत्तराखंड, अपनी खूबसूरती से तो अधिकतर लोगों को मोहित करता ही है। मगर ऐसा नहीं है कि सुंदरता ही राज्य का एकलौता गहना है। उत्तराखंड प्रदेश अब धीरे धीरे हर कार्य क्षेत्र में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहा है एवं तमाम प्रगतिशील योजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। चाहे हम विकासखंड रामगढ़ में स्थापित होने वाली जनपद नैनीताल की सबसे बड़ी फ्रूट प्रोसेसिंग यूनिट की बात करें या राज्य की मशहूर नैनी झील की तस्वीर बदलने वाले अहम प्रयासों की चर्चा करें। हमारा प्रदेश कहीं भी चूकता नज़र नहीं आ रहा है। ऐसे में अल्मोड़ा से आ रही ताज़ातरीन केसरी खबर उत्तराखंड वासियों का दिल प्रसन्नता से ओत प्रोत करने के लिए काफी है।

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खबरों के मुताबिक विज्ञानी व उद्यान विभाग उत्तराखंड में कश्मीरी केसर की फसल से अत्यंत खुश है। पहाड़ों में कश्मीरी केसर की उच्च गुणवत्ता वाली पैदावार से उत्साहित विभाग अब केसर उत्पादन के क्षेत्रफल को बढ़ाने जा रहा है। हाल ही में जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण शोध संस्थान द्वारा कोसी कटारमल में केसर की फसल ले कर प्रयोग किया गया था। प्रयोग के सफल होने के पश्चात ही उत्तराखंड के लिए यह खुशी की खबर आई है। दरअसल राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन के तहत जनपद अल्मोड़ा को केसर उत्पादन के लिए चयनित किया गया है। कुछ किसानों को भी खासतौर पर केसर उत्पादन के लिए चुना गया है। शेर ए कश्मीर विश्वविद्यालय से मंगाए गए दो कुंतल केसर बल्ब (कंद) चिन्हित किसानों को बांट दिये गए हैं। कश्मीर से यहां पहुंचे विशेषज्ञों ने चुने हुए किसानों के साथ बैठक भी की जिसमें उन्होंने किसानों के साथ बुआई से जुड़ी सारी बारीकियां और तकनीकें साझा की।

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राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन के नोडल अधिकारी प्रो. किरीट कुमार ने जानकारी दी। जानकारी के अनुसार दो वर्षो तक संस्थान के परिसर में ही कश्मीरी केसर का उच्च गुणवत्ता के साथ सफल उत्पादन किया गया। उत्पादन के बाद उत्पाद को जांच हेतु लैब भेजा गया। प्रयोगशाला में सम्पूर्ण प्रयोगों के उपरांत उत्पाद अव्वल श्रेणी में शामिल हुआ है। सफलता के बाद से ही विभाग ने आगे के कार्य शुरू कर दिये। सीडीओ मनुज गोयल के कहने पर कश्मीर से दो कुंतल केसर बल्ब मंगाए जाने के बाद सभी केसर बल्बों (कंदों) को जिले के विभिन्न स्थानों पर उगाने की योजना बनाई गई है। प्रो. किरीट ने बताया कि घाटी में गुणवत्तापूर्ण केसर बल्ब तैयार किए जा रहे हैं। खबरों के अनुसार शेर ए कश्मीर विश्वविद्यालय के मिशन की एक परियोजना के तहत केसर बल्बों का उत्पादन बढ़िया स्तर पर हो रहा है। केसर उत्पादन से आजीविका को किस तरह बढ़ाया जाए, इस दिशा में भी योजनाएं बनाई जा रही हैं। शीतलाखेत क्षेत्र से चुने गए किसानों में से कुछ किसानों के खेतों में वैज्ञानिक विधि से केसर के बल्ब बोए भी गए हैं। जिसमें इलाके के उत्साही किसान रणजीत सिंह बिष्ट, केशव दत्त पाडे व नवीन चंद्र पांडे के खेत शामिल थे। घाटी से यहां पहुंचे विशेषज्ञों की सूची में शामिल थे शेर ए कश्मीर विवि के डा. मो. तौशीफ अली, शकीर अहमद भट्ट। विशेषज्ञों ने किसानों को केसर बीज के उपचार, रोपण व रखरखाव की तकनीकें बताई। जिला उद्यान अधिकारी टीएन पाडे ने भी मामले पर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पूरे जिले के किसान इस खबर से खुश हैं एवं काफी किसान हैं जो कि केसर उत्पादन के प्रति दिलचस्पी दिखा रहे हैं। बता दें कि विभाग के द्वारा पहली बार ऐसा कोई प्रयोग किया जा रहा है। उम्मीद है आगे भी राज्य तरक्की पर तरक्की करता रहेगा।

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