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कुमाऊं के हाथ एक बार फिर लगी निराशा, अल्मोड़ा को नहीं मिली MBBS की मान्यता

हल्द्वानी: राजकीय मेडिकल कॉलेज अल्मोड़ा पिछले कई सालों से एमबीबीएस की मान्यता की मांग कर रहा है। लेकिन हर वर्ष की तरह इस बार भी, कॉलेज का यह सपना हकीकत में तब्दील नहीं हो सका। गौरतलब है कि इस साल भी अल्मोड़ा राजकीय मेडिकल कॉलेज को एमबीबीएस की मान्यता नहीं मिलेगी। दरअसल राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (नेशनल मेडिकल कमीशन) देश भर में कॉलेजों को एमबीबीएस की मान्यता देने का कार्य करता है। आयोग देश भर के मेडिकल कॉलेजों का सम्पूर्ण जायजा करने के बाद ही यह तय करता है किसी कॉलेज को यह महत्वपूर्ण मान्यता प्राप्त होगी या नहीं। अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज ने पिछले कुछ सालों की भांति इस बार भी मान्यता हेतु आवेदन कर आयोग से गुहार लगाई थी। आवेदन के बाद ही नेशनल मेडिकल कमीशन ने कॉलेज का पूरा निरीक्षण किया। लेकिन हर बार की तरह कमियों का हवाला देते हुए मान्यता का आवेदन फिर ठुकरा दिया गया है। अल्मोड़ा मेडिकल कालेज द्वारा एमबीबीएस में पहले बैच की 100 सीटों की पढ़ाई शुरू कराने हेतु आवेदन किया गया था। जिसके जवाब में नेशनल मेडिकल कमीशन के सचिव डॉ आरके वत्स ने एक पत्र जारी किया है।

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साफ तौर से उन्होंने कहा है कि अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज के आवेदन को खारिज कर दिया गया है। डॉ वत्स ने बताया कि एमबीबीएस कोर्स को शैक्षणिक वर्ष 2020-21 में मान्यता के लिए एनएमसी अधिनियम, 2019 की धारा 61 (2) के तहत कमियों और असंतोषजनक विवरण को देखते हुए अमान्य करार दे दिया गया है। इसी मामले में उनके द्वारा यह पत्र भेजा गया। 15 अक्टूबर को अस्वीकृति पत्र कालेज के प्राचार्य के नाम पर जारी किया गया है। ऐसे में अब अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज को एमबीबीएस की मान्यता की अनुमति के लिए एक नए सिरे से आवेदन करना पड़ेगा।

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कुछ मुख्य कमियां हैं जो इस तरह से आवेदन के अस्वीकार किये जाने का कारण रहीं हैं। दरअसल मेडिकल कॉलेज अल्मोड़ा की घोषणा 2004 में हुई थी मगर गौर करने वाली बात यह है कि 2012 से शुरू हुआ निर्माण कार्य अभी भी पूरा नहीं हो सका है। बता दें कि मेडिकल कॉलेज अल्मोड़ा में अभी तक पूरी फैकल्टी भी सही से इकठ्ठा नहीं हो पाई है। नेशनल मेडिकल कमीशन के मानक के मुताबिक किसी भी मेडिकल कॉलेज में 70 फीसदी डॉक्टरों की ज़रूरत होती है लेकिन अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में इस वक्त 50 फीसदी डॉक्टरों की मौजूदगी ही दर्ज हो पाई है। अब देखना यह होगा यहां से आगे चल कर, कॉलेज प्रशासन किस तरह के कदम उठाता है।

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