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भानूभाई पटेल की कहानी,जेल में रहते हुए 8 साल में हासिल कीं 31 डिग्रियां, बाहर आते ही लग सरकारी नौकरी

भानूभाई पटेल की कहानी,जेल में रहते हुए 8 साल में हासिल कीं 31 डिग्रियां, बाहर आते ही लग सरकारी नौकरी
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नई दिल्ली: प्रेरित करने के लिए रोजाना हमारे पास कई कहानियां सामने आती हैं। अधिकतर कहानियों में संसाधन की कमी होने के बाद कामयाबी का रास्ता तय किया जाता है। एक कहानी है गुजरात के भानूभाई पटेल की जिनकी उम्र है 59 साल। जेल में 8 साल रहने के बाद भी उन्होंने 31 डिग्रियां हासिल कीं। जेल से बाहर आने के बाद उन्हें न सिर्फ सरकारी नौकरी का ऑफर मिला बल्कि, उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड, यूनिक वर्ल्ड रिकॉर्ड, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड, वर्ल्ड रिकॉर्ड इंडिया और यूनिवर्सल रिकार्ड फोरम तक में दर्ज दर्ज हो गया। इस तरह के मामले कम देखने को मिलते हैं जहां जेल जाने के बाद कोई कैदी अपना भविष्य बनाता है। भानू पटेल जेल में बंद सैकड़ों कैंदियों के लिए एक उदाहरण हैं।

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भानू पटेल भावनगर की महुवा तहसील के रहने वाले हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की अनुसार वह बीजे मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री लेने के बाद 1992 में मेडिकल की डिग्री लेने के लिए वह अमेरिका गए। उनका एक दोस्त स्टूडेंट वीजा पर अमेरिका में जॉब करते हुए तनख्वाह भानूभाई के अकाउंट में ट्रांसफर करता था। इसी कारण से उनके उपर फॉरेन एक्सचेंज रेग्युलेशन एक्ट (FERA) कानून के उल्लंघन का आरोप लगा और इसी मामले को लेकर 50 साल की उम्र में उन्हें 10 साल की सजा हुई और उन्हें अहमदाबाद जेल में बंद कर दिया गया।

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जेल में बंद होने के बाद भी भानू ने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी। नतीजा यह रहा कि 8 साल में उन्होंने 31 डिग्रियां हासिल कीं। वैसे तो जेल जाने वाले व्यक्ति को सरकारी नौकरी नहीं मिलती, लेकिन, भानूभाई पटेल को रिहा होते ही अंबेडकर यूनिवर्सिटी से जॉब ऑफर हुई। वहां नौकरी करते हुए 5 सालों में भानूभाई ने 23 और डिग्रियां भी प्राप्त की। इस तरह अब तक वह 54 डिग्रियां ले चुके हैं।

कोरोना वायरस के चलते लागू हुए लॉकडाउन में जेल में बिताए अपने अनुभवों के बारे में भानू पटेल ने गुजराती, हिंदी और अंग्रेजी भाषा में तीन किताबें भी लिखी हैं। उनकी गुजराती किताब का नाम ‘जेलना सलिया पाछल नी सिद्धि’ और अंग्रेजी में ‘BEHIND BARS AND BEYOND’ है। भानू पटेल 13वीं विधानसभा चुनावों में प्रिसाइडिंग ऑफिसर के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। उनके द्वारा लिखी गई किताबें भी मार्किट में आ गई हैं।

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