Editorial

EDITORIAL: जिंदगी में ना हो परेशान किसी दूसरे से अपनी तुलना करके

नई दिल्ली: मनोज गिरी गोस्वामी: यह कहानी एक MBA ग्रेजुएट की लाइफ के ऊपर है जिसकी ग्रेजुएशन उस वक्त हुई जो मार्केट अपने बुरे दौर से गुज़र रही थी, हर स्टूडेंट की तरह हमारी ग्रेजुएट के भी लाइफ को लेकर काफी उम्मीदें थी काफी आशाएं थी अपनी भविष्य को लेकर। हमारा यह हीरो एक चीज का शिकार भी था। वह बहुत बड़ी प्रॉब्लम का शिकार था वह यह थी कि हर वक्त वह अपनी जिंदगी की उपलब्धियों को दूसरों के साथ कंपेयर करता रहता था मान लीजिए उसकी पूरी जिंदगी इस बात पर निर्भर करती थी कि वह दूसरों के मुकाबले कहां पहुंचा है अगर यह आगे रहता तो बहुत खुश रहता था पर अगर थोड़ा सा भी पीछे रह जाता था तो बहुत परेशान हो जाता था। जैसे इसकी पढ़ाई पूरी हुई इसका कोई दोस्त कनाडा चला गया कोई ऑस्ट्रेलिया चला दिया कोई अपने पापा के बिजनेस में सेट हो गया और इसको बहुत अच्छी कॉर्पोरेट कंपनी में जॉब लग गई परंतु इसकी जो उम्मीदें थी अपनी नई नौकरी को लेकर वह पूरी ना हो पाई मतलब जैसी वो जॉब चाहता था।

वैसी जॉब नहीं मिल पाई और दोस्तों आज तक इसकी जिंदगी में ऐसा नहीं हुआ था। आज से पहले हमेशा हमारा दोस्त सबसे आगे रहा करता था। फिर यह अन्याय क्यों बहुत गुस्से में था आज वह बहुत चिंता में भी था ।आखिर माता-पिता ने लोन लेकर जो पढ़ाया था इसको घर की स्थिति भी अच्छी नहीं थी फिर भी ऐसे इसी के साथ क्यों हो रहा था और जॉब भी अब इसको इस कंपनी के अलावा कहीं और नहीं मिल पा रही थी काफी गुस्से में 1 दिन जिंदगी से नाराज होकर वह जंगल की तरफ निकल गया और वहां जाकर अपने आपको अपनी जिंदगी को कोस रहा था मान लीजिए भगवान से शिकायतें कर रहो और बोला भगवान अब मैं यह जिंदगी नहीं जीना चाहता सब कुछ करने के बाद भी मेरे साथ ही ऐसा क्यों हुआ और आपने भी कोई आशा नहीं छोड़ी मेरे जीवन में पहले तो हर चीज मेरे अनुसार चला करती थी मैं सच में बहुत परेशान हूं दोस्तों यहां यह भी याद रखियेगा कि यह सिर्फ अपने सपनों को लेकर ही परेशान ना था। इसलिए भी परेशान था कि इसको वैसा नहीं मिला जीवन में जैसे उसने सोचा और एक दूसरा कारण यह भी कि इसके ज्यादातर दोस्त इससे कहीं ज्यादा आगे निकल गए।

हमारा परेशान दोस्त जिंदगी से हार मान चुका था तभी अचानक जंगल से कहीं से आवाज आई जैसे मान लीजिए भगवान इसकी निराशा का जवाब खुद देने आए हो ।इस बूढ़े आदमी ने कहा बेटा तुम इतने नाराज हो परेशान हो जरा अपने आसपास देखो तुम्हें अपने सवालों के जवाब खुद ही मिल जाएंगे जिंदगी जीने की जो उम्मीद तुम ढूंढ रहे हो वह भी मिल जाएगी आवाज सुनते ही हमारा कहानी का हीरो थोड़ा हैरान हुआ फिर उसने अपने आसपास देखा उसे अपने आसपास कुछ हरी-भरी झाड़ियां नजर आई वहीं बगल में छोटा सा पेड़ मानो मिट्टी की छाती छोड़कर एक छोटा सा बीज बाहर निकल रहा हो इसने यह सब देखकर उस आदमी से कहा मैं कुछ समझा नहीं ।

लेकिन फिर वही आदमी बोला बेटा जो तुम एक तरफ यह झाड़ियां देख रहे हो और दूसरी तरफ एक बास का अंकुर फूटा हुआ देख रहे हो बेटा इन दोनों के बीच मैंने एक ही समय लगाए यह जो झाड़ी जो आज बड़ी हो गई है खूबसूरत हो गई है जो देखने में इतनी सुंदर दिखती है और यह बांस का अंकुर जो मिट्टी से अभी बाहर आया है इन दोनों का बीज मैंने एक साथ लगाया है।

दोनों को मैंने बराबर धूप बराबर जमीन बराबर पानी और अपना बराबर प्यार दिया पर दोनों के बनने में अलग-अलग वक्त लगा बेटा झाड़ी जो आज बड़ी हो चुकी है और अगर आज हम इसकी तुलना इस अंकुर से करें तो शायद लगेगा झाड़ी जीवन में बढ़ने की जंग को जीत चुकी है। बेटा जिस वक्त यह झाड़ी बढ़ रही थी खुशहाल हो रही थी उतना वक्त बास का वृक्ष जो सता के नीचे था और वह खत्म नहीं हुआ था उसने आस नहीं छोड़ी थी बेटा असल में उस समय बीज अपनी जड़ें मजबूत कर रहा था। उसका सारा काम सतह के नीचे चल रहा था और दोनों की बढ़ने की गति की तुलना कि नहीं जा सकती यह ध्यान में रखें क्योंकि बेटा सृष्टि में हर चीज अपने समय पर अपनी रफ्तार में बड़ी होती है बेटा किसी और की तरक्की देखकर निराश नहीं होते झाड़ियां भले ही जल्दी बड़ी हो जाती है लेकिन वृक्षों को बड़े होने में वक्त लगता है लेकिन वृक्षों को बड़ी होने में वक्त लगता है पर दोनों की सृष्टि में अपनी अपनी जगह है यह सब सुनकर इस नौजवान के मन में फिर से एक उम्मीद की किरण जागी दोस्तों।

यह कहानी नहीं अपितु एक उम्मीद है हमेशा समझो कि जिंदगी में हर चीज अपने समय पर होती है दोस्तों परिस्थितियां हमें उतना परेशान नहीं करती जितना हम अपने आप को परेशान करते हैं और भगवान हमें कभी परेशान नहीं करते दोस्तों हम खुद अपने आप को परेशान करते हैं दोस्तों यह बास का छोटा पेड़ जिसका इस कहानी में जिक्र हुआ है यह सच्चाई है कि इसकी जड़े बनने में कई साल निकल जाते हैं यह भी कहा जाता है कि इसकी जड़ें बनने में सबसे ज्यादा वक्त लगता है लेकिन दोस्तों जब इसकी ग्रोथ का वक्त आता है।

यह भी कहा जाता है कि मात्र 24 घंटों में बांस का पेड़ 90 फुट तक बढ़ जाता है तो इसलिए जब इनकी जड़ें मजबूत हो रही होती है तो उस वक्त आपको यह लगेगा शायद यह पेड़ बड़ा होगा ही नहीं क्योंकि इसकी जड़े बन रही होती है और जैसा इसकी जड़े बन जाती है तो इसकी जितनी ग्रोथ शायद ही कोई करता हो यह ग्रोथ इसलिए संभव है क्योंकि इसकी जड़ें मजबूत है तो दोस्तों यह यह कहानी हमें सिखाती है कि हमेशा अपनी जड़े मजबूत कीजिए क्योंकि अपनी जड़ों पर यह निर्भर है कि आप जीवन में कितना आगे जा सकते हैं और यह भी याद रखियगा दोस्तों जो इंसान को जिंदगी में जल्दी ग्रोथ मिल जाती है और उसकी रूट्स कमजोर हो मतलब उसकी जड़े कमजोर हो तो वह ग्रोथ ज्यादा देर तक नहीं टिक पाती और एक दूसरी चीज दोस्तों अपनी तुलना किसी से मत कीजिए हर चीज अपने वक्त पर होगी जो एक व्यक्ति के जीवन पर एक समय पर हो रही है दूसरे व्यक्ति के जीवन में भी वही चीज एक दूसरे वक्त पर हो हर इंसान अपने जीवन में मुश्किलों से गुजरता है किस किसी के जीवन में यह मुसीबतें जल्दी आ जाती है किसी के जीवन में बाद में लेकिन आप तुलना नहीं कर सकते दोस्तों अगर आप जीवन में उन नौजवानों की तरह ही है जिन्होंने इस जिंदगी में जल्दी मुसीबतें देखी हो तो आप अपनी परिस्थितियों की तुलना अपने दोस्तों से नहीं कर सकते क्योंकि दोस्तों सबका बुरा वक्त अलग-अलग समय पर ही आता है और अंत में यह जरूर याद रखिएगा दोस्तों की जिस दिन सब कुछ आपकी हक में जा रहा होगा उस दिन गरूर मत करना और जिस दिन आप के उलट जा रहा होगा उस दिन दोस्तों थोड़ा सब्र जरूर करना।

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