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जीबी पंत इंस्टीट्यूट के हाथ बड़ी सफलता, शोध कर खोज निकाले कोविड के खिलाफ लड़ने वाले कंपाउंड

हल्द्वानी: कोरोना का तूफान रुकने का नाम नहीं ले रहा है। कोविड संक्रमण से जुड़ी कई शोध दुनियाभर में की गई हैं। कई जगह वैक्सीन बन गई है तो कहीं बन रही है। विश्वभर के काफी सारे शोधकर्ताओं ने तरह तरह के वादे और दावे किए हैं। मगर यह जंग अभी भी चल रही है और खासकर भारत में अब तक तसल्ली से ज़्यादा बेचैनी के अवसर लोगों को प्राप्त हुए हैं। मगर कोरोना से लड़ने की कतार में अब उत्तराखंड के शोधकर्ता और वैज्ञानिक भी कूद पड़े हैं। इसी दौरान कोरोना के खिलाफ जंग में अल्मोड़ा से एक बड़ी सुकून भरी खबर आई है।

यहां जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान (NIHE) कोसी कटारमल के विज्ञानियों व शोधार्थियों ने दो खास यौगिक (कंपाउंड) खोज निकाले हैं। यह वे कंपाउंड हैं जो कोरोना वायरस को बढ़ावा देने वाले 3-सीएलसी प्रो (थ्री-काइमोट्रिपसिन लाइक प्रोटिएज) एंजाइम से लड़ने में बहुत सक्षम हैं। विज्ञानियों के अनुसार कोविड-19 के पैदावार ‘सार्स कोवी-2’ के खात्मे में ये यौगिक कारगर साबित हो सकते हैं। ये वही कंपाउंड हैं, जो पूर्व में लाइलाज एचआइवी-वन के संक्रमण से लड़ने में कारगर साबित हो चुके हैं।

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बता दें कि लॉकडाउन के बाद से ही यहां के विज्ञानी कोरोना के खिलाफ चल रही लड़ाई की मुहिम में इकठ्ठा हो गए थे। इस दौरान चल रही शोध प्रक्रिया में 1528 एचआइवी-वन यौगिकों के समूह को कंप्यूटर विधि से जांचा परखा गया। फिर 356 ऐसे यौगिक चुने गए जिनमें कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने की संभावना थी। तीसरे चरण में 84 ऐसे यौगिक चुने गए जो विषाणु रोधक थे। साथ ही पाचन, अवशोषण, उत्सर्जन आदि प्रक्रिया पर ज़्यादा असर नहीं करते थे। इसके बाद 40 यौगिकों को छांटा गया। ये कोरोना वायरस के 3-सीएलसी प्रो (थ्री-काइमोट्रिपसिन लाइक प्रोटिएज) एंजाइम के खिलाफ सक्रिय पाए गए। जानकारी के मुताबिक थ्री-सीएलसी प्रो एंजाइम को निष्क्रिय कर ही कोविड-19 पर काबू पाया जा सकता है।

इसके बाद अलग अलग विधियों जौसे मॉलीकुलर डॉकिंग आदि से पहले 22 और फिर 12 यौगिक चुने गए। आखिर में मालिक्युलर डायनेमिक्स एंड सिमुलेशन विधि के माध्यम से दो यौगिक लिए गए जो कोरोना वायरस के खिलाफ प्रभावी रूप से सक्रिय मिले। लंदन की प्रतिष्ठित पत्रिका साइंस रिपोर्ट ने इस शोध को प्रमुखता से प्रकाशित किया। इसे अलावा उन्होंने जीबी पंत संस्थान के विज्ञानियों व शोधार्थियों की सराहना भी की है।

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जीबी पंत संस्थान अल्मोड़ा के वरिष्ठ शोध विज्ञानी प्रो. जीसी कुनियाल ने बताया कि शोध से जुड़े समस्त विज्ञानियों में खासा उत्साह है। उन्होंने बताया कि विज्ञानी चाहते हैं कि भारतीय दवा कंपनी शोध रिपोर्ट के आधार पर कोविड-19 से जंग जीतने के लिए जनहित में दवा बनाएं।

प्रो. कुनियाल के अनुसार कोरोना वायरस के खिलाफ प्रभावी यौगिकों की पहचान करना एक बहुत बड़ सफलता है। इस सफलता के बाद वनस्पति जगत में भी इनकी उपलब्धता का पता लगाने को नए अनुसंधान के द्वार खुले हैं। उन्होंने बताया कि इन यौगिकों की उपलब्धता वाली वनस्पतियों से भी इस बीमारी का उपचार संभव है। प्रोफेसर ने कहा कि इस शोध से निकले दो यौगिकों को लेकर पुन: क्लीनिकल ट्रायल किया जाएगा, उसके बाद ही पेटेंट की प्रक्रिया शुरू होगी।

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