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हल्द्वानी: ना जाने और कितना डराएगा ये कोरोना, बस स्टेशन से वापस लौट रहे हैं यात्री

हल्द्वानी: कोविड-19 महामारी का डर एक बार फिर लोगों को सताने लगा है। याद रहे, पिछले साल भी वो महीना मार्च ही था जब से इसकी शुरुआत हुई थी। फिर अप्रैल महीने के आते-आते तो बुरा हाल हो गया था। इस बार भी फिर से कोरोना ने आतंक फैलाना शुरू कर दिया है। लोगों की तरह ही उत्तराखंड रोडवेज का भी फिर से बुरा हाल होना शुरू हो गया है। गुरुवार को तो गज़ब ही हो गया।

हुआ यह कि जब से उत्तराखंड सरकार ने कोरोना रोकथाम के लिए नए और सख्त नियम लागू किए हैं, यात्रा करने वालों की संख्या में कमी आनी शुरू हो गई है। रोडवेज बस में बैठने से पहले यात्री पूछताछ केंद्र पर जाकर सवाल कर रहे हैं। सवाल यह कि अगर दिल्ली या बरेली जाए तो रास्ते में बस से उतार कोरोना टेस्ट तो नहीं होगा। सोचने वाली बात है कि पहले ही दिन 22 लोग यह सवाल करने के बाद वापस लौट गए।

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कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच राज्य सरकार खासा सतर्क हो गई है। इसी कड़ी में शासन ने हरियाणा व दिल्ली समेत 12 राज्यों से आने वाले यात्रियों को उत्तराखंड में प्रवेश के लिए कोविड रिपोर्ट अनिवार्य कर दी है। रिपोर्ट ना लाने वालों की बॉर्डर पर ही कोरोना जांच की जा रही है। फिर उन्हें आइसोलेशन में भेजा जा रहा है।

इसी बात को लेकर हल्द्वानी से बाहर जाने वाले यात्री काफी शंका में हैं। लोगों को यह डर है कि अगर वे दिल्ली, बरेली आदि रूटों पर गए तो रास्ते में ही उनकी कोरोना जांच कर ली जाएगी। अब इस डर का जवाब रोडवेज कर्मियों के पास भी नहीं है। जिससे डर और अधिक बढ़ रहा है।

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इस डर से सबसे बड़ा नुकसान तो उत्तराखंड रोडवेज को हो रहा है। साल 2020 में कोरोना वायरस के प्रकोप ने उत्तराखंड के पर्यटन को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया था। पर्टयन से जुड़े सैंकड़ों लोगों को अपना करोबार तक बंद करना पड़ा था। उत्तराखंड रोडवेज़ को भी घाटे का सामना करना पड़ा था। करीब तीन महीने रोडवेज बसों का संचालन पूरी तरह से बंद था।

इसके बाद हालात सुधरे तो धीरे-धीरे बसों को चलाया जाने लगा। लेकिन कोरोना वायरस की दूसरी लहर एक बार फिर रोडवेज को नुकसान पहुंचा रही है। इस बार भी गर्मियों को देखते हुए रोडवेज खासा तैयारियों में जुटा हुआ था। मगर अब सरकार की सख्ती से यात्रियों की संख्या भी घटने लगी है। जिससे रोडवेज की इनकम का प्रभावित होना भी लाज़मी है।

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