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अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार रहा है उत्तराखंड रोडवेज, कर्मचारी भी हो रहे हैं परेशान

हल्द्वानी: अपने पास संसाधन होने के बावजूद भी अगर आप किराए पर किसी वस्तू को ले रहे हो, तो लाज़मी है कि आपको चपत तो लगेगी ही। देखा जाए तो चपत लगी भी है। हम बात कर रहे हैं परिवहन निगम की। कोरोना काल में ड्यूटी पर रहे छह हज़ार कार्मिकों को पिछले तकरीबन पांच महीनों से वेतन नहीं मिल सका है। ऐसे में रोडवेज द्वारा अनुबंधित बसों की संख्या में इजाफा करना विभाग के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।

दरअसल उत्तराखंड परिवहन निगम के पास पर्याप्त मात्रा में बसें हैं मगर फिर भी विभाग द्वारा बार बार अनुंबधित बसों को रोडवेजों में लाया जा रहा है। हालांकि निगम का मानना है कि यह केवल यात्रियों को भरपूर सुविधा देने के दृष्टिकोण से किया जा रहा है। मगर हल्ज्वानी डिपो में दो और जनरथ बसें जुड़ने के बाद रोडवेज कर्मी निगम से कुछ जुदा से मालूम पड़ते हैं।

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हल्द्वानी डिपो में यह दो बसें गुरुग्राम और फरीदाबाद मार्ग पर चलाई जाएंगी। ऐसे में रोडवेज के कार्मिकों का कहना है कि इन नई बसों को उन रूटों पर भेजना चाहिए जहां पहले से रोडवेज की बसें नहीं जाती हैं। या फिर जहां गाड़ियों की कमी है। कार्मिकों ने कहा कि कमाई वाले मार्गों पर यह किराए की बसें भेजने से रोडवेज को सिर्फ नुकसान उठाना पड़ेगा।

आपको बता दें कि पिछले पांच महीनों से कर्मचारियों को वेतन देने में असफल निगम आर्थिक तंगी से गुज़र रहा है। पहले कोरोना और फिर सवारियों की संख्या में कमी, दोनों ही बातों ने निगम को बैकफुट पर धकेला हुआ है। जानकारी के अनुसार इस बीच नैनीताल रीजन के पास करीबन 500 बसें ली गई हैं। जिसमें से 96 बसें किराए की हैं। जिसमें सबसे ज़्यादा किराए वाली बसें रुद्रपुर डिपो के पास हैं।इनकी संख्या 40 के करीब है।

इन बसों को प्रति किमी के हिसाब से रुपए दिए जाते हैं। वॉल्वो को 26 रुपए प्रति किमी, एसी को 23 रुपए प्रति किमी और साधारण बसों के लिए तीन कैटेगरी हैं। एक तरफ रोडवेज है जो अनुबंधित बसों को बढ़ा रहा है और दूसरी तरफ रोडवेज कर्मचारी जो कह रहे हैं कि खुद की बसों का सांचालन ही फायदे का सौदा है।

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