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हल्द्वानी के अभिजात कांडपाल की कविता संकलन “बीज रिश्तों के” का दिल्ली में हुआ विमोचन

हल्द्वानी: साहित्य समाज का मार्गदर्शक और नियामक होता है। साहित्य आमजन के लिए प्रेरक की भूमिका निभाता है और नैराश्य से भरे परिवेश में समाज के लिए उम्मीद की किरण बनता है। यह बातें आरएसएस की कार्यकारिणी समिति के सदस्य और राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के संयोजक इंद्रेश कुमार ने कहीं। वह हिमालय परिवार के नई दिल्ली स्थित कार्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम में अभिजात कांडपाल ‘निडर’ की कविता संकलन ‘बीज रिश्तों के…’ विमोचन कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।

इस दौरान उन्होंने कहा कि साहित्य की सार्थकता इस बात में है कि वह व्यापक समाज का हित करता हो और जनमानस में राष्ट्रप्रेम की भावना का संचार करे। वहीं, कार्यक्रम के दौरान अभिजात ने काव्य पाठ करते हुए कहा, “परेशानी!तुम राह रोकने आओ तो, मैं जिजीविषा कि अमिट पहचान बनूँ, चीर दूँ वक्ष पत्थर का प्रकृति नियम का प्रमाण बनूँ…” इसके अलावा उन्होंने कहा, “रोते-रोते सिसकूँ तो, कभी चुप्पी को तुम न कहना, बिखर चुका जब पूरी तरह, तुम जुड़ने को भी मत कहना…।

 

वहीं, निडर ने ‘बीज रिश्तों के बोता गया मैं’, ‘बाधक! जय हो तुम्हारी’ आदि कविताओं का वाचन भी किया। कार्यक्रम संयोजक और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता भुवन भट्ट ने सभी का स्वागत जबकि सुभारती विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग से जुड़े अतुल गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में हिमालय परिवार की संपादक वंदना पाठक, भूपेन्द्र कांसल राष्ट्रीय महामंत्री, पुनीत सांकला, दिलबाग सिंह, जयकिशन गुप्ता, प्रभांशु रंजन, अधिवक्ता दीपक जोशी आदि उपस्थित रहे।

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