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हल्द्वानीः रैगिंग के दौरान सीनियर ने जूनियर छात्र के जड़ा थप्पड़, कान का पर्दा फटा

हल्द्वानीः रैगिंग, यह शब्द एक ऐसा काला धब्बा है जिसकी वजह से हर साल ना जाने कितने मासूमों की जिंदगियों से खिलवाड़ होता है। गलत व्यवहार, अपमानजनक छेड़छाड़, मारपीट ऐसे कितने खतरनाक रूप रैगिंग में सामने आते रहते हैं। सीनियर छात्रों के लिए रैगिंग भले ही मौज-मस्ती हो सकती है, लेकिन रैगिंग से गुजरे छात्र के जहन से रैगिंग की वो खौफनाक तस्वीर कभी मिटती नहीं है।  कॉलेज खुलने के समय नए छात्र-छात्राएं को प्रवेश मिलने की खुशियां होती है। लेकिन उन्हें कॉलेज के सीनियर छात्रों के दुरव्यवहार को भी सहना पड़ता है। ऐसा ही रैगिंग का एक दिल दहला देने वाला मामला हल्द्वानी के सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज से सामने आया है। जहां एमबीबीएस तृतीय वर्ष के छात्रों ने गुरुवार को द्वितीय वर्ष के छात्रों की रैगिंग करने के बाद पिटाई कर दी। एक छात्र को इतना तेज थप्पड़ जड़ा कि उसके कान का पर्दा फट गया।

बता दें कि गिरुवार को सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस तृतीय वर्ष के छात्रों ने गुरुवार को द्वितीय वर्ष के छात्रों की रैगिंग करने के बाद जम कर पिटाई कर दी। एक छात्र को इतना तेज थप्पड़ जड़ा कि उसके कान का पर्दा फट गया। इसके बाद द्वितीय वर्ष के छात्रों ने देर शाम प्राचार्य कार्यालय का घेराव कर रैगिंग की लिखित शिकायत करी। गुरुवार को दिन में तृतीय वर्ष और द्वितीय वर्ष के छात्रों में रैगिंग को लेकर विवाद हुआ था। देर शाम तृतीय वर्ष के छात्रों ने द्वितीय वर्ष के छात्रों के साथ मारपीट कर दी। वहीं द्वितीय वर्ष के छात्रों ने आरोप लगाया कि प्रथम वर्ष से ही छात्र उनकी रैगिंग करन की कोशिश करते थे। पैर के तलवों में मारते थे।

घात्रों का कहना है कि वे उनके पैर के तलवों में मारते थे। साथ ही बाल कटवाने को लेकर भी दबाव बनाते थे। द्वितीय वर्ष में आने के बाद रैगिंग और भी ज्यादा बढ़ गई। गुरुवार को मारपीट करने के साथ ही शर्ट के बटन तक उखाड़ दिए। छात्रों ने मेडिकल चौकी में शिकायत की मगर चौकी में मौजूद पुलिस कर्मियों ने मामले की शिकायत प्राचार्य से करने की बात कहकर छात्रों को वहां से भेज दिया।

मामले के बाद रैगिंग से पीड़ित छात्रों ने देर शाम प्राचार्य कार्यालय पहुंच गए और पांच वरिष्ठ छात्रों पर रैगिंग और मारपीट करने का आरोप लगाया। वहीं आरोपी छात्र भी देर शाम प्राचार्य के पास पहुंचे और इस मामले में अपनी सफाई देने लगे। लेकिन प्राचार्य ने उनकी कोई भी बात सुनने से इंकार कर दिया। इस मामले की जांच अनुशासनात्मक समिति करेगी। वहीं कॉलेज के छात्रों में रैगिंग के खिलाफ काफी आक्रोश नजर आ रहा है। छात्रों का कहना है कि रैगिंग पूरी तरह बंद हो जानी चाहिए। इसके चलते आए दिन मासूमों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। 

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