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पंचतत्व में विलीन हुए गोवा के मुख्यमंत्री पारिकर , जानें स्वर्गीय पारिकर के संघर्ष की कहानी

नई दिल्लीः  गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पारिकर सोमवार को पंचतत्व में विलीन हो गये । स्वर्गीय मनोहर पारिकर अपने राजनैतिक करियर में 4 बार मुख्यमंत्री बने और एक बार रक्षा मंत्री भी रहे यह उपलब्धि पारिकर ने महज 25 साल में उपलब्ध करी थी। 24 अक्टूबर, 2000 में मनोहर पारिकर पहली बार गोवा के मुख्यमंत्री बने , हालांकि मुख्यमंत्री बनने की खुशी पारिकर के लिए ज्यादा समय तक नहीं रह सकी क्योंकि निजी जिंदगी में उनका संघर्ष जारी था। इसे विडंबना ही कहेंगे कि मनोहर पारिकर की पत्नी मेघा का निधन  कैंसर से हुआ। फरवरी, 2002 में उन्हें यह पद भी छोड़ना पड़ा। जून, 2002 में फिर से वह मुख्यमंत्री बने और फरवरी 2005 तक इस पद पर रहे।गोवा के मुख्यमंत्री स्वर्गीय  मनोहर पारिकर को उनके बेटे ने उनको वैदिक रीति-रिवाज के साथ मुखाग्नि दी। पणजी स्थित बीजेपी ऑफिस लाया गया दिवंगत सीएम मनोहर पर्रिकर का पार्थिव शरीर, श्रद्धांजलि देने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी पहुंचे और इस बिच केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भावुक हो गईं।  स्वर्गीय  मनोहर पारिकर के परिवार में दो बेटे है जिसमें से एक इंजिनियर हैं, जबकि दूसरे बेटे अपना कारोबार चलाते हैं। मनोहर पारिकर की पत्नी का 2000 में कैंसर से निधन हो गया था। मनोहर पारिकर ने अपना पहला चुनाव 1994 में  बीजेपी  से गोवा की पणजी सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ा था जिसमें वह जीत हासिल करने में कामयाब हुए।गोवा मुख्यमंत्री स्वर्गीय मनोहर पारिकर का जन्म साल 1955 में गोवा के मापुसा गांव में हुआ। उन्होंने लोयोला हाई स्कूल से अपनी पढ़ाई करी थी । जिसके बाद वह 1978 में आईआईटी इंजीनियरिंग के लिए मुंबई आ गये और उन्होंने यहां से ग्रेजुएट डिग्री हासिल करी । छात्र जीवन से ही मनोहर पारिकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक में सक्रिय थे। शुरू से ही उनका संघ की ओर झुकाव था। वह पढ़ाई के दौरान संघ की शाखा में जाने लगे थे। पढ़ाई पूरी करने के बाद भी वह संघ से जुड़े रहे और बाद में वह बीजेपी में शामिल हो गए और उन्होंने बीजेपी पार्टी की तरफ से पहली बार चुनाव भी लड़ा।

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