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सियासत और आस्थाः भोले बाबा तय करते हैं टिहरी लोकसभा का भविष्य

देहरादूनः लोकसभा चुनाव की सबसे ज्यादा चर्चा उत्तराखंड में करी जा रही है। इस आम चुनाव में जहां सबसे ज्यादा नैनीताल सीट चर्चाओं में हैं, तो वही भोले बाबा की नगरी टिहरी लोकसभा सीट पर भी सबकी नजर टिकी है। टिहरी लोकसभा में यहां दो गद्दावर नेता चुनावी मैदान पर हैं। टिहरी लोकसभा सीट इस लिए भी रोचक देखी जा रही है। यहां एक तरफ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह पर दांव खेला है। तो वही भाजपा ने लगातार तीसरी बार मौजूदा सांसद माला राजलक्ष्मी पर भरोसा जताया है। यह कहना गलत नहीं होगा कि एक तरफ राजाओं की इज्जत है तो वही कांग्रेस से पूरी प्रदेश कार्यकारिणी का भी टेस्ट होगा ।टिहरी सीट से राजपरिवारों का पुराना नाता रहा रहा है। लोकसभा में टिहरी की जनता ने करीब 10 राजपरिवार के सदस्यों से भी अधिक को सांसद चुन दिल्ली भेजा है। लोगों का मानना है कि जनता के साथ बद्रीनाथ मंदिर के भोले बाबा की इच्छा से ही राज परिवार को दिल्ली जाने का मौका मिलता है। यही कारण है कि जब भी बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खुलें हो और चुनाव चल रहे हो तो राजपरिवार निश्चित ही जनता की पसंद बनता है। इसका उदहारण 1971 और 2007 में देखा जा चुका है। और माला राजलक्ष्मी को भी 2012 से लगातार बद्रीनाथ धाम का आशीर्वाद मिलता रहा है। इस बार चुनाव में फिर माला राजलक्ष्मी अपनी किस्मत आजमा रही हैं।इस बार टिहरी लोकसभा से दिल्ली की यात्रा राजपरिवार के लिए कुछ हद तक मुश्किल हो सकती हैं। 11 अप्रैल को उत्तराखंड में मतदान होना है पर इस समय बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद है और 10 मई को कपाट खुलने से यात्रा शुरू करी जायेगी। और मतगणना 23 मई को होनी है। इस लिए टिहरी सीट पर राजपरिवार का भविष्य है यह कहना गलत नहीं होगा। यह भी याद रखे कि बद्रीनाथ धाम की सुरक्षा की जिम्मेदारी राजपरिवार की ही है और मंदिर के कपाट खुलने की तिथि भी राजपरिवार के मुखिया ही तय करते हैं। मतदान और मतगणना के बीच मंदिर के कपाट खुलने से देखना होगा कि इस बार भोले बाबा किस पर अपनी कृपा करते है।

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