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अटल जी की अस्थि कलश यात्रा, हल्द्वानी पुलिस द्वारा जारी नया रूट जरूर देखें

हल्द्वानी: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की अस्थि कलश यात्रा शुक्रवार को हल्द्वानी में निकलेगी। पवित्र अटल जी की अस्थियों को शहर की गौला नदीं में विसर्जित किया जाएगा। पुलिस ने कलश के दौरान कोई बाधा ना हो उसके लिए नया रूट जारी किया है।

शहर में शुक्रवार को इस तरह होगी एंट्री

  •  रामपुर रोड से आने वाली समस्त रोडवेज बसें जिनको हल्द्वानी शहर में आना है टीपी नगर तिराहे से डाइवर्ट कर मंडी/ तीनपानी गोलापार बाईपास की ओर भेजा जाएगा जो कि काठगोदाम नारीमन होते हुए हल्द्वानी शहर में प्रवेश कर सकेंगे छोटे वाहन रामपुर रोड से हल्द्वानी की ओर आने वाले छोटे वाहनों को देवलचौड़/ ITI तिराहे से डाइवर्ट कर हल्द्वानी में प्रवेश कराया जाऐगा।
  •  बरेली रोड से आने वाली समस्त रोडवेज बसों को तीनपानी बाईपास से डाइवर्ट कर गोला बाईपास भेजा जाएगा जो कि नारीमन तिराहा काठगोदाम होते हुए हल्द्वानी में प्रवेश कर सकेंगे छोटे वाहन बरेली रोड से आने वाले छोटे वाहन तीनपानी बाईपास गोला बाईपास से होते हुए काठगोदाम को जाएंगे।
  • कालाढूंगी रोड की ओर से आने वाले समस्त वाहनों को लालडॉट तिराहा से डाइवर्ट कर पनचक्की होते हुए कॉल/टैक्स काठगोदाम को निकाला जाएगा।
  • वहीं पुलिस की ओर से ये भी कहा गया है कि अति आवश्यक सेवा वाले वाहनों को यातायात व्यवस्था को देखते हुए हल्द्वानी शहर में प्रवेश करने की अनुमति दी जाएगी।

 

बता दें कि 24 अगस्त को अटल बिहारी वाजपेयी का अस्थि कलश जसपुर से कुमाऊं में प्रवेश करेगा। उसके बाद कई शहरों से होतें हुए वह हल्द्वानी पहुंचेगा जहां रानीबाग स्थित चित्रशिला घाट में अस्थियां विसर्जित की जाएंगी।

स्व. अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे। साल 2015 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। राजनीति में होने का बाद भी उनका विपक्षी दलों में सम्मान होता था, अटल जी की राजनीति में केवल देश को आगे बढ़ाने का मकसद था, उन्होंने इसके लिए कई बार विपक्षी दलों से भी सहयोग लिया था। वो भारत के पहले नेता है जिन्होंने देश को बताया कि मिलकर गंठबंधन की सरकार बनाई जा सकती है। अटल जी ने 16 अगस्त को दिल्ली स्थित एम्स में 5.15 मिनट में अंतिम सांस ली। 17 अगस्त को उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। 19 अगस्त को हरिद्वार में उनकी अस्थियां गंगा जी में विसर्जित की गई।

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