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पर्यावरण दिवस: ऐसे बचेगा पर्यावरण और हम…देश को बदलने की जरूरत

भवाली: नीरज जोशी: यूं तो पर्यावरण दिवस 5 जून को मनाया जाता है। लेकिन पर्यावरण को बचाने की सार्थकता तब सिद्ध होगी जब हम प्रत्येक दिवस पर्यावरण को बचाने का संकल्प लेंगे। हमारे आसपास की हवा,जल और हमें शुद्ध वातावरण व हमारे कई सुख संसाधनों की पूर्ति करने वाले पर्यावरण के नाम पर सिर्फ 1 दिन के लिए याद करते हैं और पूरे साल भर ना जाने कितनी बार हम पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।

तो पूरे साल की समस्याओं को हम एक दिन में कैसे हल कर सकते हैं । इन सब संकट को देखते हुए पर्वावरण प्रेमी गणेश गयाल कहते है कि हम अगर पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए संकल्प लें तो साल भर की पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली आदतों में सुधार जरूरी है और यह सुधार किया भी जा सकता है। ग्लोबल वार्मिंग इस समय बड़ी चिंता है पृथ्वी पर जिन चीजों का उपयोग हम अभी कर रहे हैं उनसे तापमान में और अधिक वृद्धि के संकेत मिल रहे हैं, उनका कहना है कि तापमान के बढ़ने की मुख्य वजह है फैक्ट्रियों से निकलने वाला हानिकारक है। हम उसे तो नहीं रोक सकते लेकिन अपनी जरूरतों को बदलने की कोशिश कर सकते हैं। हम बिजली उपकरणों के बजाए शुद्ध प्रकृति से से उत्पन्न वस्तुओं का इस्तेमाल कर सकते हैं,जिससे तापमान वृद्धि में कमी होगी। प्लास्टिक की थैलियां हमारे शहरों में ज्यादा प्रदूषण फैलाती हैं तो पुरानी कपड़े की थैलियां हम अपने उपयोग में ला सकते हैं। पर्यावरण की सुरक्षा का जिम्मा हमें किसी की डर से नहीं बल्कि स्व प्रेरणा से लेना चाहिए । प्रकृति का सम्मान ईश्वर की प्रति हमारी श्रद्धा होगी और कहा भी जाता है कि प्रकृति भी एक ईश्वर का रुप होती है। जो भी वस्तुएं हैं जो हमारे जीवन को प्रभावित करती हैं वह सभी पर्यावरण से बनती हैं ।

जल ,हवा, जंगल ,जमीन, सूर्य का प्रकाश, रात का अंधकार और अन्य जीव जंतु सभी हमारे पर्यावरण के अभिन्न अंग है । तमाम प्राकृतिक संसाधनों को हम धन के स्रोतों के रूप में देखते हैं और अपने स्वार्थ की खातिर उसका अंधा-धुंध दोहन करते हैं । एक और हम पेड़ों की पूजा करते हैं वही उन्हें काटने में जरा भी नहीं हिचकिचाते हैं । इस पर्यावरण दिवस पर हमसभी को पेड़ों की पूजा के साथ उनकी रक्षा का संकल्प भी हमें उठाना होगा । तभी हमारा पर्यावरण सुरक्षित और संवर्धित होगा। प्राकृतिक जल स्रोतों जो पहले हजारों लोगों कि पानी की प्यास बुझाते थे वह लगभग खत्म हो चुके हैं। पर्यावरण की दशा बिगड़ने पर हमारी सांस्कृतिक ऐतिहासिक धरोहरों को नुकसान पहुंच सकता है और हम पर्यटन के रूप में विकसित स्थलों से वंचित हो सकते हैं । इसलिए हमें पर्यावरण को बचाने के लिए हर दिवस पर्यावरण दिवस के रूप में मनाना चाहिए जिससे हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहे।

विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर शिप्रा कल्याण समिति भवाली द्वारा भवाली शमशानघाट में सफाई अभियान चलाया गया। पवित्र उत्तरवाहीनी शिप्रा नदी में व्यापक सफाई अभियान चलाकर 40 कट्टा कूड़ा कचरा निकाला गया। साथ ही कचरा निकाल कर उसका निस्तारण भी किया गया। गौरतलब हैं कि शिप्रा कल्याण समिति पिछले करीब ढाई साल से समय समय पर श्मशान घाट की सफाई करती हैं। अब लोगो मे भी काफी जागरूकता आयी है अधिकांश लोग अब शवदाह के बाद बची हुई लकडियो को किनारे कर देते है जिसके चलते सभी जगह जाली लकड़ियों का अंबार लग जाता हैं। इस दौरान अभियान में शिप्रा कल्याण समिति के अध्यक्ष जगदीश नेगी,ओम प्रकाश जोशी ,शिव कुमार ,धन सिंह बोरा ,संजय बोरा आदि रहे।

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