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हाथीपॉंव की बीमारी से निजात दिलाएगी ये होम्योपैथिक दवाएं, वीडियो टिप्स

हल्द्वानी:Filaria या Filariasis जिसे हिंदी में ” हाथीपाँव ” कहते हैं, एक Filaria Boncrafti कृमि से पैदा होने वाली तथा Culex मच्छरों द्वारा फैलाई जाने वाली बीमारी हैं। इस रोग में रोगी के पैरो में सूजन होकर पैर हाथी के पैर के समान मोटे हो जाते है। यह परजीवी धागे की तरह होता हैं। यह परजीवी शरीर में लसीका (Lymph) में रहता हैं और केवल रात्री में रक्त में प्रवेश कर भ्रमण करता हैं। यह कृमि लसीका के अंदर ही मर जाते है और लसीका का मार्ग बंद कर देते हैं। इसके संक्रमण से लसीका अपना कार्य करना बंद कर देते हैं।

हल्द्वानी स्थित साहस होम्योपैथिक के डॉक्टर नवीन चंद्र पांडे ने बताया कि  यह रोग मच्छरों के काटने से फैलता हैं। एक वयस्क कृमि लाखो की संख्या में छोटी-छोटी कृमि (MicroFilaria) पैदा करती हैं। यह कृमि संक्रमित मनुष्य के रक्त में रहती हैं। इस कृमि को मच्छर एक संक्रमित मनुष्य का खून चूस कर दूसरे स्वस्थ मनुष्य तक पहुचाते हैं।संक्रमण के शुरू में इसका कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देता हैं। संक्रमण के कुछ सालो बाद बुखार रहने लगता हैं। कुछ सालो के बाद यह बुखार जल्दी-जल्दी दर्द के साथ आने लगता है। इसके बाद पैरो पर सूजन आने लगती हैं। इस बीमारी का ठीक से उपचार नहीं होने पर यह सूजन स्थायी हो जाती हैं। डॉक्टर नवीन चंद्र पांडे ने इस बीमारी से निजात पाने के लिए होम्योपैथिक दवाएं बताई।

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