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जन्मदिन के दिन छोड़कर चले गए शहीद मेजर विभूति,पत्नी के साथ आखिरी मुलाकात ने किया देश को भावुक

नई दिल्ली:  पुलवामा हमले में शामिल आतंकियों से लोहा लेते हुए उत्तराखण्ड के मेजर विभूति शंकर ढौंढियाल शहीद हो गए। उनकी शहादत की खबर ने पूरे उत्तराखण्ड की आंखों में आंसू ला दिया। यह खबर उस वक्त सामने आई जब राज्य एक दिन पहले बम डिफियूज करने के बाद शहीद हुए मेजर चित्रेश बिष्ट को नम आंखों से विदा कर रहा था।

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खबर के अनुसार पुलवामा के पिंगलिना गांव में एनकाउंटर हुआ था और सैनिक 14 फरवरी को हुए हमले में शामिल आतंकियों को घेरे हुए थे।  इस एनकाउंटर में जैश के 3 आतंकी ढेर हुए। इसमें गाज़ी रशीद उर्फ़ कामरान भी शामिल है जो आतंकी हमले का मास्टरमाइंड था।

देश को आतंकियों से मुक्त कराने के मिशन में  सेना के मेजर समेत 5 जवान शहीद हुए हैं। शहीदों में शामिल हैं हवलदार शेव राम, सिपाही हरि सिंह, पुलिसकर्मी अब्दुल रशीद और सिपाही अजय कुमार है। इस टीम को मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल लीड कर रहे थे।

मेजर विभूति ढौंडियाल का परिवार मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल के बैजरों के पास ढौंड गांव का रहने वाला है। विभूति के दादा केएन ढौंडियाल 1952 में देहरादून आकर बस गए थे। उनके पिता स्वर्गीय केएन ढौडियाल कंट्रोलर डिफेंस एकाउंट में थे।पिता ओपी ढौंडियाल का निधन 2015 में हो चुका है। इसके बाद से मां सरोज ढौंडियाल बीमार रहने लगी हैं। दो बहनों की शादी हो चुकी है। तीसरी बहन की शादी नहीं हुई है। वह दून इंटरनेशनल स्कूल में शिक्षिका हैं।

मेजर विभूति की शादी पिछले साल 19 अप्रैल 2018 में निकिता कौल के साथ हुई थी। निकिता दिल्ली में जॉब करती है और हर सप्ताह के अंत में अपने ससुराल देहरादून जाती थी। मेजर विभूति के देहरादून स्थित घर पर उनकी दादी और मां सरोज  ढौंडियाल रहती थी। सोमवार के दिन निकिता ट्रेन से दिल्ली लौट रही थीं।मुज्जफरनगर के पास ही पहुंची थीं और उन्हें आर्मी हेडक्वॉटर से फोन पर शहादत की जानकारी मिली। मेजर विभूति का जन्म 19 फरवरी, 1985 को हुआ था।

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