Life Style

अभिभावक-बच्चों पर अंकों को लेकर दवाब ना बनाए, डॉक्टर नेहा शर्मा की टिप्स

हल्द्वानी: प्रत्येक वर्ष की तरह बोर्ड की परीक्षा के परिणाम आने का सिलसिला शुरू हो गया है। मनोचिकित्सक नेहा शर्मा का कहना है कि कोरोना वायरस की वजह से पूरा देश परेशान है। बच्चों के साथ ही अभिभावकों को भी समझना चाहिए कि यह समय परिणाम को लेकर ज्यादा सोच विचार करने का नहीं है। जरूरी है कि इस वक्त हम धीरज ,संयम और एकाग्रता को बनाए रखें। रिजल्ट के तुरंत बाद ही बच्चों के मन में कई प्रकार के विचार आने लगते हैं। वह कॉलेज और करियर के बारे में ज्यादा सोचने लगते हैं। इस समय चिंता नहीं बल्कि संयम रखना चाहिए। अभिभावकों को बच्चों को थोड़ा स्पेस देना चाहिए समय देना चाहिए ताकि वह सही निर्णय ले सके।

अभिभावकों को समझना चाहिए कि सभी बच्चों के लिए यह समय परेशानी से भरा रहता है। बच्चों को अंकों के आधार पर अपमानित और उनकी तुलना किसी अन्य से ना करें। इससे आपका बच्चा डिप्रेशन का शिकार हो सकता है।

डॉक्टर नेहा शर्मा ने कुछ मनोवैज्ञानिक तरीके बताएं जिससे बच्चे और अभिभावक मौजूदा स्थिति को स्वीकार कर सकते हैं।

बच्चों के लिए-डॉक्टर नेहा शर्मा कहती हैं कि परीक्षा के परिणाम में 33% व्यक्ति द्वारा बनाया गया पास होने का एक क्राइटेरिया है। अंक चाहे 33 परसेंट हो या फिर 70% इतनी कोई विशेष बात नहीं है। हर टीचर का कॉपी चेक करने का तरीका अलग अलग होता है।

विद्यार्थी को अंको का कम या ज्यादा आना स्वीकार करना चाहिए। उसे दिल पर ना ले। अपनी मेहनत व रिजल्ट जो भी हो उसे स्वीकार करें। अंकों के बारे में विचार ना करें। आप महत्वपूर्ण हैं उनके माता-पिता जो भी कहे उसे दिल से ना लगाए।

  • बच्चे धैर्य बनाए रखें
  • सोच समझकर निर्णय लें
  • शिक्षकों से राय लें, करियर काउंसलिंग कराएं
  • सकारात्मक रवैए के साथ वर्तमान स्थिति को स्वीकार करना सीखें

अभिभावकों के लिए सुझाव

डॉक्टर नेहा शर्मा का कहना है कि अभिभावकों को स्वीकार करना चाहिए कि हर बच्चे का IQ अलग-अलग है। उनकी योग्यता और क्षमता अलग-अलग है। आपका बच्चा जो भी स्कोर लाया है उसे स्वीकार करें व वास्तविकता में रहकर आगे के विषयों का चयन करें। पढ़े और आगे बढ़े। हर परीक्षा अलग है, कम अंक लाने वाले बच्चे कुछ भी कर सकते हैं। क्षमताओं पर काम करें, वह अच्छी होगी तो आपके सफल होने का चांस भी बढ़ेंगे।

To Top