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10 सितंबर विश्व आत्महत्या रोकधाम दिवस, निशुल्क कैंप, दोपहर 1-3 बजे डॉ नेहा शर्मा को कॉल करें

एंग्जाइटी अटैक की वजह बना कोरोना, डॉ. नेहा शर्मा ने कुसुमखेड़ा में शुरू की सेवा

हल्द्वानी: 10 सितंबर आत्महत्या रोकधाम दिवस पर कुसुमखेड़ा स्थित मनसा मानसिक क्लीनिक की डॉक्टर नेहा शर्मा द्वारा निशुल्क टेलीफोनिक कैंप का आयोजन किया जा रहा है। इस दौरान कोई मरीज परामर्श के लिए दोपहर एक बजे से तीन बजे तक मनोचिकित्सक को +91 98371 73140 पर कॉल कर इस विषय पर जानकारी ले सकता है। विश्व आत्महत्या रोकधाम दिवस पर डॉक्टर नेहा शर्मा का कहना है कि आजकल आत्महत्या के मामले प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं। सबसे ज्यादा आत्महत्या करने वालों में 15 साल से 25 साल के युवा शामिल हैं। खासकर कोविड के वक्त में इस आंकड़ों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है और हर उम्र का व्यक्ति आत्महत्या करने की कोशिश कर रहा है।

आत्महत्या एक ऐसी मनोस्थिति है जिसमें मनुष्य किसी परेशानी का हल नहीं निकाल पाता है। वह अपने आप को हारा हुआ महसूस करता है। उसे लगता है कि अब कुछ नहीं हो सकता है। वह असुरक्षित महसूस करता है और अपनी जीवनलीला को समाप्त कर लेता है। इसका मुख्य कारण है व्यक्ति के विचारों में गड़बड़ी और वह कोई भी मानसिक रोग हो सकता है। आजकल सामूहिक आत्महत्या के केस भी देखने को मिल रहे हैं। कुछ ऐसे केस भी सामने आए हैं जिसमें सकारात्मक व हंसमुख रहने वाला व्यक्ति भी आत्महत्या जैसा कदम उठा रहा है।

डॉक्टर नेहा शर्मा ने आत्महत्या को साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर बताया है। आत्महत्या करने वाले व्यक्ति को लगता है कि परेशानी का समाधान केवल मौत है। डॉक्टर शर्मा का कहना है कि आत्महत्या किसी भी समस्या का हल नहीं है। जिंदगी जीने के लिए होती है, जब जन्म पर हमारा मन ही नहीं होता तो मृत्यु पर भी नहीं, मृत्यु स्वभाविक है कोई मन का खेल नहीं। हमको जिंदगी में आने वाली सभी परिस्थितियों का मुस्कुराकर सामना करना चाहिए। हर परिस्थिति का अनिश्चित होती है और हर परेशानी का समाधान भी हर वक्त मौजूद रहता है।

डॉक्टर नेहा शर्मा ने आत्महत्या के विचारों को रोकने के लिए कुछ सकारात्मक विचारों के साइकोलॉजी तरीके बताए हैं। रोज डॉ नेहा ओपीडी में इसी तरह के मरीजों को देख रही हैं और उनकी समस्या का हल निकाल रही है।

1- समस्या का हल निकालने के बारे में सोचना चाहिए।

2- व्यक्ति की टॉक थेरेपी करें तुरंत मनोचिकित्सक से परामर्श लें।

3-अगर कभी आत्महत्या का विचार मन में आता है तो उसी समय किसी भी तरह से अपने विचारों को नियंत्रण करें या अपने से बात करें। या फिर साइकोथेरेपी करवाएं

4- आत्महत्या के विचार आने पर किसी अन्य व्यक्ति की बातें इसमें और शांत रहें

5-अपने आप से प्यार करें

6-जिंदगी को लेकर सकारात्मक नजरिया व वास्तविकता को स्वीकार करें

7-अपने शौक को जिंदगी का हिस्सा बनाएं

8-हर वक्त खुश रहे, जिंदगी को हर क्षण जिये।

9- किसी पर भी भावात्मक रूप से निर्भर ना हो अपनी उपयोगिता को पहचाने और आगे बढ़े

10-अपने मन से ना शब्द हटाए और हां शब्द के साथ जीना सीखें

11-अपने आप की तारीफ करें अपने को किसी से कम ना समझें

12- खुद के आदर्श व प्रेरादायक बनें

13-जो भी जिंदगी में मिल रहा है उसको संतोषजनक स्वीकार करें

14-जिंदगी में जरूरी नहीं जो हम चाहे हमें मिले पर प्रयास हर वक्त करते रहें

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