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सैकड़ों लोगों को नई जिंदगी दे चुका था देवभूमि का ये सपूत, सीनियर्स देते थे शाबाशी

देहरादूनः जम्मू-कश्मीर हमले में शहीद हुए 44 जवानों के शहादत के बाद शनिवार को दोबारा धमाका हुआ। धमाके में उत्तराखंड देहरादून के मेजर चित्रेश बिष्ट शहीद हो गए। मेजर चित्रेश आईईडी को डिफ्यूज करने के लिए गए थे। उन्हें इस काम के लिए मास्टर कहा जाता था। लेकिन आज दिन उनका नहीं था। 4 बम को डिफ्यूज करने में उन्हें कामयाबी मिली लेकिन दूसरे ने भारत मां के इस सपूत को उससे हमेशा के लिए दूर कर दिया। धमाका इतना तेज था कि उनकी मौके पर ही शहीद हो गए। इस घटना ने पूरे देश कोहराम मचा दिया। सबसे ज्यादा दुख इस बात ये पहुंचाया कि मेजर बिष्ट 28 फरवरी को घर आने वाले थे। 7 मार्च को उनकी शादी थी और घर में उसी की तैयारी चल रही थी। 31 साल के मेजर चित्रेश बिष्ट  वर्ष 2010 में भारतीय सैन्य अकादमी से पास आउट मेजर बिष्ट सेना की इंजीनियरिंग कोर में तैनात थे।

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छोटी से उम्र में उन्होंने कई बड़े काम किए। मेजर ने ड्यूटी में करीब 24 से ज्यादा आइईडी (इंप्रोविस्ड एक्सप्लोजिव डिवाइस) डिफ्यूज कर चुके थे। शनिवार को भी वह चार आइईडी को डिफ्यूज कर पांचवीं में विस्फोट की चपेट में आकर शहीद हो गए। इसके अलावा डेढ़ साल पहले चित्रेश कुपवाड़ा में एलओसी में साथियों के साथ पेट्रोलिंग पर गए थे। जहां चार आतंकवादी पहले से ही जवानों पर हमले के लिए घात लगाए थे। मेजर चित्रेश ने साथ चल रहे छह साथियों को आतंकवादियों के हमले से सुरक्षित बचाते हुए कैंप पहुंचाया। देश के इस बहादुर मेजर ने ना जाने कितने लोगों को नई जिंदगी दी

इस से पहले 14 फरवरी को पुलवामा में आतंकियों ने 2500 जवानों के ऊपर अटैक किया। इस हमले में 44 जवान शहीद हुए। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी।

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