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नैनीताल जिले का ये गांव, प्रशासन ने नजरअंदाज किया, ग्रामीण खुद बनाने लगे है सड़क

हल्द्वानीः लम्बे समय तक शासन और प्रशासन के चक्कर काटने के बाद ग्रामीणों को सिर्फ आश्वान मिलने पर ग्रामवासी काफी परेशान हो गये थे। मात्र चार किलोमीटर की सड़क के निर्माण के लिए गांव के लोग चार साल से प्रशासन के दफ्तर के चक्कर काट रहे थे। काफी परेशानी के बाद गांव के लोगों ने खुद श्रमदान कर सड़क बनाने की सोच ली और खुद गांव की सड़क बनाने ऊतर गये। यह मामला भीमताल से लगे पांडे गांव का है। इस गांव की सड़क पांडे गांव तक तो है पर उस से आगें नहीं है। ग्रामीणों को सबसे ज्यादा परेशानी बीमार और बुजुर्गों को ले जाने में होती है। यह गांव सीधी ऊंचाई पर है, जहां से उतरने में लोगों को काफी परेशानी होती है। गांव में 42 अनुसूचित गांव के लोग रहे है। गांव में चार साल पहले मंडी परिषद की ओर से दो किमी की सीसी सड़क बनाई गई थी, पर यह सड़क अनुसूचित जाति की बस्ती तक पहुंचती है। दो किमी की सीसी सड़क के बाद बची दो किलोमीटर सड़क के लिए लोग आज तक तरस रहे हैं।

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चार साल सड़क की लड़ाई के बाद गांव के लोग थक हार के खुद ही सड़क बनाने में लग गये। कई बार शासन से अनुरोध किया गया पर प्रशासन ने कोई भी ध्यान नहीं दिया, जिसके बाद गांव के लोगों ने 42 परिवारों की बैठक बुलाई। बैठक की अध्यक्षता कनिष्ठ ब्लॉक प्रमुख सोनी बिष्ट ने करी। बैठक में गांव के लोगों ने तय किया कि अब प्रशासन के किसी भी दफ्तर में चक्कर ना काटकर खुद से मोटरमार्ग का निर्माण किया जायेगा।  गांव के लोगों ने मार्ग बनाने का काम शुरू कर दिया है। गांववासी करीब 10 दिनों से मार्ग के निर्माण में श्रमदान करने में जुट गये है। मार्ग के निर्माण को गांव के लोग पर्यटन से भी जोड़ रहे है। ग्रामवासी बताते हैकि करकोटक में धार्मिक आस्था का प्राचीन मंदिर भी है। मार्ग के निर्माण के बाद मंदिर में श्र्धालुओं के आने से रोजगार का भी साधन मिलेगा। मार्ग का निर्माण करने वालों में कई युवा और बुजुर्ग भी है। कनिष्ठ ब्लॉक प्रमुख भीमताल ने बताया कि मार्ग के ना होने से बुजुर्ग लोगों को सड़क तक कुर्सी या डोली में लाया जाता है। कई बार प्रशासन से मार्ग के विषय में बात करी गई पर आश्वान के अलावा प्रशासन ने कुछ नहीं किया और अब गांव के लोगों ने खुद मार्ग का निर्माण करने का फैसला लिया है।

 

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