Nainital-Haldwani News

पहाड़ी फल काफल ने दिया लोगों को सरप्राइज़,दो महीने पहले ही पहुंच गया नैनीताल

हल्द्वानी: पहाड़ में खूब पसंद किए जाने वाले फल काफल ने इस बार लोगों को सर्प्राइज दिया है। नैनीताल में इस बार यह फल समय से दो-एक महीना पहले ही पधार चुका है। लिहाजा कीमतों के मामले में भी काफल पीछे नहीं दिख रहा।

देखा जाए तो काफल के आने की खुशी के बीच एक बात चिंताजनक भी है। वह यह कि इस बार ग्रीष्मकालीन फलों की श्रेणी में आने वाला फल काफल मार्च में ही नैनीताल में आगमन कर चुका है। मतलब गर्मी ने अपना दायरा बढ़ा लिया है। इस बार बारिश व बर्फबारी नहीं होने और सूरज की तपिश बढ़ने के कारण य संभव हुआ है।

यह भी पढें: नैनीताल में गुलदार का आतंक,लकड़ी लेने जंगल गई महिला पेड़ से नीचे गिरी

यह भी पढें: उत्तराखंड में अब तीन मंडल होंगे,चमोली,रुद्रप्रयाग,अल्मोड़ा,बागेश्वर से मिलकर बनेगा गैरसैंण

काफल की पैदावार मुख्य तौर पर पहाड़ों पर होती है। यह फल अप्रैल-मई में पकता है जबकि ज़्यादा ऊंचाई वाली क्षेत्रों में जून जुलाई तक पकता है। इस बार मार्च में ही नैनीताल पहुंचा काफल अधपका नहीं बल्कि पूरा पकने के बाद बाजार में बिकना शुरू हुआ है।

नैनीताल में 500 रुपये प्रतिकिलो काफल बिक रहा है। नैनीताल में करीब तीन दशक से काफल बेच रहे राजेंद्र पाल सिंह ने बताया कि ऐसा पहली बार हुआ है कि मार्च में काफल बेच रहे हैं। यह फल रातिघाट क्षेत्र के जंगल में पके हैं।

यह भी पढें: उत्तराखंड में फिर बढ़ने लगे हैं कोरोना वायरस के मामले, आज नैनीताल में सबसे ज्यादा केस

यह भी पढें: हल्द्वानी में अंडर-16 ट्रायल, 80 खिलाड़ियों को मिला अगले दौर का टिकट

काफल की विशेषताएं

1. रस-युक्त और पाचक जूस से भरा काफल ये पेट से जुड़ी बीमारियों जैसे अतिसार, अल्सर, गैस,कब्ज, एसिडीटी आदि से निजात दिला सकता है

2. मानसिक बीमारियों के साथ कई तरह के रोगों के लिए काफल रामबाण माना जाता है

3. काफल के तने की छाल का सार, अदरक व दालचीनी का मिश्रण अस्थमा, डायरिया, बुखार, टाइफाइड, पेचिश तथा फेफड़े ग्रस्त बीमारियों के लिए फायदमेंद होता है

4. काफल के पेड़ की छाल के साथ अन्य औषधीय पौधों के मिलाप से निर्मित काफलड़ी चूर्ण को अदरक के जूस व शहद के साथ मिलाकर उपयोग करने से गले की बीमारी, खांसी और अस्थमा जैसे रोगों से छुटकारा मिलता है

यह भी पढें: बागेश्वर से हल्द्वानी आ रही केमू बस पलटी,काली मंदिर के पास हुआ चमत्कार,बच गई 16 जिंदगियां

यह भी पढें: पहाड़ी में बात करें उत्तराखंड के युवा डॉक्टर्स,MBBS के छात्रों को सिखाई जाएगी पहाड़ी भाषा

To Top