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अच्छी ख़बर: महज एक स्मार्टवॉच से आपको कोरोना संक्रमण का पता चलेगा

कोरोना वायरस का कहर दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। इस वायरस का तेजी से यूं बढ़ने की सबसे बड़ी वजह इसके लक्षणों का जल्दी न उभरना है। कोविड-19 टेस्ट के नए और प्रभावी खोजने के लिए वैज्ञानिक लगातार प्रयासरत हैं। इस कड़ी में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि स्मार्टवॉच की मदद से कोरोना वायरस के लक्षण दिखने से पहले ही उसका पता लगाया जा सकता है।

वैज्ञानिकों ने एक घड़ी का आविष्कार किया है जिससे लक्षण दिखने से पहले ही कोरोना का पता लगाया जा सकता है। जी हां, महज एक स्मार्टवॉच से कोरोना के लक्षण उभरने से पहले उस वायरस के बारे में पता लगाया जा सकता है। हालांकि, अभी ये सिर्फ एक दावा है, स्टडी अभी भी नहीं की गई है। फिलहाल, स्मार्टवॉच पहनने वाले करीब एक हजार लोगों पर स्टडी किया जा रहा है, रिजल्ट आने पर ही पता लगाया जा सकेगा कि ये स्मार्टवॉच कितनी कारगार है। वहीं लंदन के किंग्स कॉलेज के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि हृदयगति, शारीरिक गतिविधियों और सोने के तरीकों में बदलाव कोरोना वायरस के मामलों की संभावना को बढ़ा सकते हैं।

इन बदलावों को स्मार्टवॉच के जरिये ट्रैक करके शरीर में बुखार, खांसी आदि जैसे लक्षण उभरने से पहले ही संक्रमण का पता लगाया जा सकेगा। इसके लिए वैज्ञानिकों ने ‘मास साइंस’ नाम का एक मुफ्त एप इस्तेमाल किया है। इस एप को स्मार्टवॉच से कनेक्ट किया जाता है। इसके बाद स्मार्टवॉच के अंदर लगे अलर्ट सिस्टम से अध्ययन में शामिल हजारों लोगों के संकेतों को ट्रैक करेंगे।

वायरस के लक्षण उभरने में कई दिन लगते हैं, ऐसे में स्मार्टवॉच के जरिए सुझाए गए शरीर में बदलाव के सबूत, समय से पहले ही संक्रमण को पहचानने में मदद करेंगे। स्मार्टवॉच पहनने वाले कोविड-19 रोगियों ने खांसी, बुखार या स्वाद-गंध खत्म होने आदि लक्षण दिखने से कुछ दिन पहले अपने स्वास्थ्य संकेतों में छोटे-छोटे बदलाव देखे गए। वैज्ञानिकों का कहना है कि लक्षण शुरू होने से पहले ही कोविड-19 मामलों का पता करने वाला यह टूल बड़े बदलाव वाला साबित हो सकता है। इस अध्ययन को नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ रिसर्च द्वारा फंड मुहैया कराया गया है।

अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता डॉ. अमोस फोलारिन का कहना है कि संक्रमण का यह सस्ता और डिजिटल टेस्ट बड़े बदलाव वाला साबित हो सकता है। वैज्ञानिकों का विश्वास है कि इस अध्ययन के जरिए वे धीरे-धीरे डाटा का अध्ययन करके ऐसा टूल बनाने में कामयाब होंगे जिससे कोरोना संक्रमण का काफी पहले सटीक पता चल जाएगा।

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