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गर्मी से तपता नैनीताल, 15 साल का टूटा रिकॉर्ड

हल्द्वानी:पर्यावरण के साथ खिलवाड़ अब मनुष्य को परेशानी दे रहा है। सबसे पहला असर बढ़ते तापमान के रूप में देखा जा रहा है। मैदानी इलाकों के अलावा पहाड़ी इलाकों में भी गर्मी अपना असर दिखा रही है। यह अंदेशा है कि अगर वक्त रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो आने वाला वक्त और मुश्किल भरा होगा। नैनीताल में सैलानी गर्मी से निजात पाने के लिए पहुंचे है लेकिन मौजूदा वक्त में नैनीताल पहुंचने वाले सैलानी ही गर्मी से परेशान हैं। पिछले 15 सालों के अंतराल में दूसरी बार पारे का न्यूनतम स्तर अप्रैल में 19 डिग्री सेल्सियस पार कर गया है, जबकि अधिकतम तापमान 28 डिग्री सेल्सियस पहुंच चुका है। मौसम के जानकारों की मानें तो ग्लोबल वार्मिग के चलते इस तरह के बदलाव सामने आ रहे हैं।

जीआइसी मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक पिछले 15 सालों के अंतराल में यह दूसरा मौका है, जब न्यूनतम तापमान 19 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। साल 2009 में भी न्यूनतम तापमान 28 अप्रैल को इस स्तर पर रिकार्ड किया गया था। हालांकि 2010 में यह 21 डिग्री सेल्सियस भी पार कर चुका है। अधिकतम पारा भी निरंतर परवान चढ़ रहा है। 15 सालों के आंकड़े बताते हैं कि अधिकतम तापमान 2008, 09 व 10 में छह बार 29 डिग्री सेल्सियस रहा था और इस बार भी 28 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है।

हालात ऐसे ही रहे तो इस माह के खत्म होने से पहले यह सभी रिकॉर्ड टूट सकते हैं। एरीज के पर्यावरणीय वैज्ञानिकों की मानें तो बढ़ता वायु प्रदूषण ग्लोबल वार्मिग को बढ़ावा दे रहा है। तापमान में बढ़ोतरी की मुख्य वजह भी यही है। शीतल नगरी भी अब ठंडी नही रही। रविवार का दिन काफी गर्म रहा। जो सैलानी नैनीताल खुले आसमान के नीचे घूमना पसंद करते थे वो छांव में बैठे नजर आए। वहीं रेस्टोरेंट व होटलों में पंखे चलते नजर आए। हालांकि दिन में कई बार हल्के बादलों ने उपस्थिति दर्ज कराई, लेकिन गर्माहट का एहसास कम नहीं कर सकी। जीआइसी मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, आ‌र्द्रता अधिकतम 82 व न्यूनतम 62 प्रतिशत दर्ज की गई।

मौसम पर नजर रखने के लिए आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान में बनाया गया एसटी रडार टेस्टिंग आखिरी दौर पर है। टेस्टिंग समाप्त होते ही यह उपयोग में लाया जाएगा। यह रडार हिमालय की जलवायु को लेकर बेहद उपयोगी साबित होगा। आसमान में 20 किमी ऊंचाई तक मौसम की सटीक जानकारी देगा। अत्याधुनिक उपकरणों से निर्मित यह देश का तीसरा रडार होगा।

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