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सबरीमालाः BJP कार्यकर्ता को मारा चाकू, जबरन बंद कराई जा रही दुकानें, हिंसात्मक प्रदर्शन जारी…

नई दिल्लीः केरल के सुप्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में सदियों से चली आ रही प्रथा आखिरकार नए साल के पहले बुधवार को टूट ही गई। सबरीमाला में बुधवार को 40 वर्ष से कम उम्र की दो महिलाओं के दर्शन करने के बाद से राज्य में जमकर बवाल शुरू हो गया है। कांग्रेस सांसदों ने सबरीमाला मंदिर में 2 श्रद्धालुओं के मंदिर में प्रवेश करने पर लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव पेश किया, जबकि प्रदर्शन के दौरान पत्रकारों के हमले के विरोध में पत्रकार संगठन ने राज्य की राजधानी में प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन कर रहे लोगों ने मीडिया पर भी हमला किया. इस दौरान वहां 3 लोगों को चाकू मारा गया, इनमें बीजेपी कार्यकर्ता भी शामिल था। सबरीमाला में बुधवार तड़के 2 महिलाओं की एंट्री के बाद राज्य में कई जगहों पर प्रदर्शन जारी है। इसी प्रदर्शन के दौरान घायल हुए 55 वर्षीय चंदन उन्नीथन की मौत भी हो गई। विरोध-प्रदर्शन के दौरान पत्रकारों पर भी हमला किया गया जिसमें कई मीडियाकर्मी घायल हो गए, इसके विरोध में पत्रकारों के संगठन ने राजधानी तिरुवनन्तपुरम में प्रदर्शन कर विरोध जताया।
गुरुवार को सबरीमाला में प्रदर्शन कर रहे 5 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, इन पर महिला पुलिसकर्मी पर हमला करने का आरोप था, जबकि दो सीपीआईएम के कार्यकर्ताओं को भी कस्टडी में लिया गया है। आज राज्यव्यापी बंद बुलाया गया है। केरल के कोझिकोड में भी प्रदर्शनकारियों ने दुकानदारों पर हमला किया। पुलिस की भारी मौजूदगी के बावजूद प्रदर्शनकारी रुकने का नाम नहीं ले रहे और दुकानों को जबरन बंद करवा रहे हैं।
राज्य में हो रहे प्रदर्शन को लेकर मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को निशाने पर लिया। विजयन ने कहा कि संघ परिवार ने इस क्षेत्र को वॉर जोन बनाकर रखा हुआ है, सरकार इस प्रकार के प्रदर्शन बंद करना चाहती है। हम सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू कराने का फैसला कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक प्रदर्शन में 7 पुलिस वाहनों, 79 सरकारी बसों और 39 पुलिसकर्मियों को निशाना बनाया गया है।
काले परिधान पहने और चेहरों को ढकी महिलाओं ने तड़के तीन बजकर 38 मिनट पर मंदिर में प्रवेश किया. इससे एक ही दिन पहले केरल में राष्ट्रीय राजमार्गों पर करीब 35 लाख महिलाएं लैंगिक समानता बरकरार रखने की सरकारी पहल के तहत कासरगोड के उत्तरी छोर से तिरूवनंतपुरम के दक्षिणी छोर तक 620 किलोमीटर की मानव श्रृंखला बनाने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हुईं थीं।

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