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वोट से पहले सरकार को झटका,SC ने राफेल के लीक दस्तावेज माने वैध, फिर से होगी सुनवाई

नई दिल्ली: चुनाव से पहले खूब सुर्खियां बटोरने वाले राफेल सौदा बीच चुनाव के बीच केंद्र सरकार को झटका दे रहा है। उच्चतम न्यायालय सौदे पर दोबारा सुनवाई करने के लिए तैयार हो गई है। अदालत ने सरकार की राफेल के कागज को लेकर जारी आपत्तियों को खारिज कर दिया है। सरकार ने दस्तावेज रखने को लेकर सवाल उठाए थे। अदालत का कहना है कि जो कागज अदालत में रखे गए हैं वह मान्य हैं।

सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यीय बेंच ने एक मत से दिए फैसले में कहा कि जो नए दस्तावेज डोमेन में आए हैं, उन आधारों पर मामले में रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई होगी। बेंच में सीजेआई के अलावा जस्टिस एस. के. कौल और जस्टिस के. एम. जोसेफ शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट अब रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई के लिए नई तारीख तय करेगा। राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना था कि इससे संबंधित डिफेंस के जो दस्तावेज लीक हुए हैं, उस आधार पर रिव्यू पिटिशन की सुनवाई की जाएगी या नहीं।

अदालत ने पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के लिए सबूत के तौर पर तीन दस्तावेजों को ले लिया है। अदालत ने कहा कि जहां तक राफेल फैसले पर समीक्षा याचिका पर बाद में विस्तृत सुनवाई की जाएगी। इससे पहले 14 दिसंबर को अपने फैसले में अदालत ने सरकार को क्लीनचिट देते हुए फ्रांस से 36 विमान खरीदे जाने की प्रक्रिया की जांच अदालत की निगरानी में करने का आदेश देने से मना कर दिया था।

अदालत में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने वाले याचिकाकर्ता अरुण शौरी ने कहा, ‘हमारा तर्क यह था कि चूंकि दस्तावेज देश की सुरक्षा से संबंधित हैं इसलिए आपको उनकी जांच करनी चाहिए। आपने हमसे इसके सबूत मांगे थे, जिसे हमने आपको दे दिया। इसलिए अदालत ने हमारी याचिका को स्वीकार कर लिया और सरकार की दलीलों को खारिज कर दिया।’बता दें कि पिछले साल मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने कहा था कि प्रक्रिया में विशेष कमी नहीं रही है और केंद्र के 36 विमान खरीदने के फैसले पर सवाल उठाना सही नहीं है। न्यायालय ने कहा था कि विमान की क्षमता में कोई कमी नहीं है।

अपने आदेश में उच्चतम न्यायालय ने कहा था, ‘हम पूरी तरह से संतुष्ट है कि राफेल सौदे की प्रक्रिया में कोई कमी नहीं रही। देश को सामरिक रूप से सक्षम रहना आवश्यक है। अदालत के लिए अपीलकर्ता प्राधिकारी के रूप में बैठना और सभी पहलुओं की जांच करना संभव नहीं है। हमें ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जिससे साबित होता हो कि इस सौदे में किसी के व्यापारिक हित साधे गए हों।’

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