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अजब गजब संयोग: तीन भाईयों का जन्म,नौकरी और तैनाती सब एक साथ

कभी-कभी जीवन में ऐसा संयोग हो जाता है जो फ़िल्मी कहानियों से भी रोचक होता है। ऐसे संयोग को कुदरत का करिश्मा ही कह सकते है। यह कहानी है उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर की है। तीन युवकों की पैदाइश का साल अलग-अलग लेकिन महीना एक ही है। वे तीनों एक साथ पले-बढ़े। तीनों ने एक ही साल में पुलिस भर्ती के लिए आवेदन भी किया। एक ही दिन परीक्षा में शामिल हुए और तीनों एक साथ पास भी हो गए। ट्रेनिंग के लिए वे एक ही दिन रवाना हुए। पॉसिंग आउट परेड में भी तीनों का साथ बना रहा। इतना ही नहीं, संयोग ऐसा रहा कि तीनों की तैनाती भी एक साथ ग़ाज़ीपुर के एक ही थाने पर हुई। एक साथ तीनों बेटों को खाकी में देखकर पिता सत्यप्रकाश यादव गदगद हैं। इन बेटों पर पूरे गांव को नाज है।

गोरखपुर जनपद के वसुधा गांव के सत्य प्रताप यादव पेशे से प्राथमिक विद्यालय कुरमौल में प्रधानाध्यापक हैं। उनकी पत्नी विमला देवी गृहणी हैं। उनके तीन बेटे दिग्विजय यादव, गौरव यादव और सौरभ यादव के जन्म का वर्ष अलग है लेकिन महीना जुलाई ही है। तीनों बेटों की प्रारंभिक शिक्षा पिपरौली और 10वीं-12वीं की मुरारी इंटर कॉलेज सहजनवा में हुई।

इंटर के बाद दिग्विजय ने इलाहाबाद से बीटेक किया। वहीं गौरव ने गोरखपुर विश्वविद्यालय से बीकॉम और सबसे छोटे सौरभ ने लिटिल फ्लावर पॉलिटेक्निक गोरखपुर से डिप्लोमा किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद तीनों भाइयों ने नौकरी की तलाश के क्रम में 2018 में पुलिस भर्ती के लिए एक साथ आवेदन कर दिया। संयोग से तीनों को शारीरिक परीक्षा के लिए गोरखपुर जिला मिला। लिखित परीक्षा फैजाबाद में हुई। दिसम्बर 2018 में रिजल्ट आया और तीनों पास हो गए। ट्रेनिंग के लिए तीनों भाइयों को मिर्जापुर में पीएसी 39वीं वाहिनी आवंटित की गई। तीनों ने एक साथ ट्रेनिंग पूरी करने के साथ पॉसिंग आउट परेड के बाद निकले तो तीनों भाइयों को एक साथ पहली तैनाती गाजीपुर जिले के रेवतीपुर थाने पर मिली। इन सब के बीच एक ही थाने में तैनात तीनों भाइयों को अगल-अलग काम आवंटित है। तीनों भाइयों का सपना यूपीएससी की परीक्षा पास करना है।

प्रधानाध्यापक सत्यप्रताप यादव इस संयोग को भगवान का करिश्मा मानते हैं। वह कहते हैं- सब एक ही साथ होता गया। यह ईश्वर की जो मर्जी। वह बताते हैं कि उन्होंने बच्चों पर कभी कोई दबाव नहीं डाला कि उन्हें क्या पढ़ना हैं। हां, उनकी पढ़ाई का मूल्यांकन जरूर करता रहा। उनमें कम्पटीशन की भावना भरी और तीनों आपस में कम्पटीशन करते था जिसका बेहतर नतीजा सामने आया।

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