National News

समलैंगिक संबंधों को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंड़ी, कहा ये कोई अपराध नहीं

नई दिल्ली:  सेक्शन 377 के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच ने फैसला सुना दिया है। पांच सदस्यीय वाली पीठ ने कहा कि समलैंगिकता अपराध नहीं है। फैसला सुनाए जाने से पहले चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि समलैंगिकों को सम्मान से जीने का हक है। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ के फैसले पर हर किसी की नजर टिकी हुई थी। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की थी और 10 जुलाई को सुनवाई शुरु होने के बाद 17 जुलाई को मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया गया|

Image result for समलैंगिक

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यौन आकर्षण प्राकृतिक होता है और इस प्रवृत्ति से इंकार नहीं किया जा सकता है। अदालत ने कहा कि सेक्शन 377 को अपराध घोषित करने का अर्थ ये होगा कि कहीं न कहीं हम उस समुदाय की भावना का सम्मान नहीं कर रहे हैं।

Image result for समलैंगिकभारतीय दंड संहिता की धारा (IPC) की धारा 377 के मुताबिक कोई भी व्यक्ति प्रकृति के नियमों के खिलाफ जाकर किसी पुरुष, स्त्री या पशु से अप्राकृतिक शारीरिक संबंध बनाता है तो  इसे अपराध माना जाएगा। इस मामले में दोषी पाए जाने पर उम्रकैद या फिर 10 साल कैद और आर्थिक दंड का प्रावधान है। इस धारा के दायरे में वो लोग भी हैं जो सहमति से शारीरिक संबंध बनाते हैं।

Related image

देश में सबको समानता का अधिकार मिला हुआ है। ऐसे में ये समलैंगिकों समुदाय के इस बात में दम था कि उन्हें सामाजिक बहिष्कार झेलना पड़ता था।  पांच सदस्यों वाली पीठ ने कहा कि अगर वयस्क सहमति से संबंध बनाते हैं तो उसे अपराध की श्रेणी में नहीं लाया जा सकता है। ऐसा करना कानूनी तौर पर उचित भी नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि समलैंगिक समुदाय के बारे में समाज की सोच में बदलाव होना चाहिए। ये बात साफ है कि आज तक समलैंगिक समाज का इज्जत के साथ जीने में तमाम तरह की मुश्किलें आती रही हैं।

To Top