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जय नीम करोली बाबा: बाबा ना होते तो ना होता है एप्पल और ना होता फेसबुक…

हल्द्वानी: 15 जून आज उत्तराखण्ड के भवाली में स्थित कैंची धाम मंदिर में पूरे विश्वभर से श्रद्धालूं नीम करोली बाबा के के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। बाबा के लिए भक्ती केवल भारत समेत उत्तराखण्ड ही नहीं पूरी दुनिया में हैं। बाबा के चमत्कार से विश्व में दो कम्पनियां का वर्चस्व स्थापित हो पाया है।

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एक व्यक्ति को दुनिया स्टिव जॉब्स के नाम से जानाती है और दूसरे को मार्क जुकरबर्ग के नाम से। बाबा के आर्शीवाद ने दोनों को ऐसी शक्ति दी कि उन्होंने पूरी दुनिया को अपने आप को सलाम करने में मजबूर कर दिया है। दोनों ने ऐसा काम किया कि दुनिया हर वक्त उनका उदाहरण देती है। ऐसी दो कंपनिया स्थापित हुई कि दुनिया के सभी युवा वहां पर काम करने के सपने देखते हैं।

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एप्पल के सीईओ स्टीव जॉब्स 12 जून 2005 को स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक प्रोग्राम में शामिल हुए जहाँ उन्होंने अपने जीवन का सबसे प्रसिद्ध भाषण “Stay Hunger Stay Foolish” दिया। इस स्पीच में उन्होंने अपने जीवन से जुड़ी एक कहानी सुनाई थी। उन्होंने अपनी कहानी की शुरुआत कहीं और नहीं भारत में बिताये अपने कुछ बेहतरीन पलों से की। अपनी बात में उन्होंने भारत एक बाबा का जिक्र किया।  स्टीव जॉब्स 1974 में भारत अपने कॉलेज के दोस्त डैन कोट्टे के साथ आए थे। स्टीव और उनके दोस्त यहाँ शांति की तलाश में आए और जिस आश्रम में वह दोनों रुके वह आश्रम नीम करौली बाबा का था।

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नीम करौली बाबा का जीवन परिचय लोगों के मन में जोश एवं उमंग भर देता है। बाबा को तो कुछ लोग हनुमान जी का साक्षात् अवतार कहते थे। एक ऐसे ही परम संत थे जो हनुमान जी के परम भक्त थे। उन्होनें बहुत लोगों की निराश जिंदगी को सुधारा था।

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27  सितंबर 2015 को जब भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी फेसबुक के मुख्यालय में थे और बातों का दौर चल रहा था तो जुकरबर्ग ने कहा था कि जब वे इस कन्फ्यूजन में थे कि फेसबुक को बेचा जाए या नहीं, तब एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स ने इन्हें भारत के एक मंदिर में जाने की सलाह दी थी। वहीं से इन्हें कंपनी के लिए नया मिशन मिला। जुकरबर्ग ने बताया था कि वे एक महीना भारत में रहे। इस दौरान उस मंदिर में भी गए थे।

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वह मंदिर कैंची धाम हनुमान मंदिर ही है जहां एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स ने फेसबुक प्रमुख मार्क जुकरबर्ग को जाने के लिए कहा था। मंदिर को आज नीम करोली बाबा का कैंची धाम नाम से भी जाना जाता है।

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मंदिर के कुछ ट्रस्टी लोग बताते हैं कि ” गूगल के पूर्व डायरेक्टर लैरी ब्रिलियंट ने आश्रम में फ़ोन कर यह जानकारी दी थी कि मार्क जुकरबर्ग नाम का एक लड़का कैंची धाम आश्रम में आ रहा है और वह कुछ दिन यहाँ रुकेगा।” और मार्क जब यहाँ आये थे तो उनके पास मात्र एक पुस्तक थी। जुकरबर्ग आए तो एक दिन के लिए थे, लेकिन मौसम खराब हो जाने के कारण वह यहाँ दो दिन रुके थे।

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जकरबर्ग ने कहा भी था कि बुरे समय में जॉब्स ने उन्हें भारत के एक मंदिर में जाने की सलाह दी थी। अपनी यात्रा के बारे में उन्होंने कहा था कि, मैं भारत में एक महीने तक घूमा और देखा कि लोग किस तरह से एक-दूसरे से जुड़े हैं। मुझे अहसास हुआ कि अगर सबके पास जुड़ने की क्षमता हो तो दुनिया कितनी बेहतर हो सकती है। इसे मुझे फेसबुक को आगे बढ़ाने में मदद मिली। जिस समय जकरबर्ग यहां आए थे उस समय नीम करोली बाबा को मरे हुए 32 साल हो चुके थे। जकरबर्ग के अलावा और भी कई अमरीकी हस्तियां इस आश्रम में आ चुकी हैं। इनमें हॉलीवुड एक्ट्रेस जूलिया रॉबर्ट्स भी शामिल हैं। नीम करोली बाबा के भक्तों का मानना है कि वे हनुमानजी के अवतार थे।

 

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