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बच्ची की जान के लिए खोला झूला पुल, नेपाल को उत्तराखंड ने पढ़ाया इंसानित का पाठ

हल्द्वानी: चीन की ताकत का इस्तेमाल कर भारत का दबाने की कोशिश कर रहा नेपाल बार-बार भारत की इंसानियत के आगे शर्मिंदा हो रहा है। कभी भारत के क्षेत्र को अपना कहने वाला नेपाल अपने लोगों की शिक्षा और व्यापार के लिए पूरी तरीके से भारत पर निर्भर हैं। लॉकडाउन के बाद भी नेपाल के कई लोग भारत में लौटकर अपनी रोजी पा रहे हैं। यही नहीं भारतीय में नेपाल के लोगों की मदद करते आए हैं। नेपाल कई लोग लॉकडाउन के बाद भारत में फंस गए थे और उन्होंने भारतीयों ने ही सहारा दिया था। दूसरी ओर प्रधानमंत्री ओपी शर्मा ओली अपनी राजनीति चमकाने व चीन के सामने वफादार बनने के लिए भारत पर लगातार हमले कर रहे हैं और उसके इलाकों को अपना बता रहे हैं। भारत ने नेपाल की इस हरकत का जवाब एक बार फिर नेक कार्य करके दिया है।

एक बच्ची की जान बचाने के लिए भारत (उत्तराखंड के पिथौरागढ़) ने अंतर्राष्ट्रीय पुल खोला। भारत से लगे नेपाल के मल्लिकार्जुन गांव की 1 महीने की बच्ची का दार्चुला के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था। बच्ची की आंतों में गांठें बनी हुई हैं जिस कारण उसकी हालत काफी गंभीर हो गई थी। इसको देखते हुए नेपाल के चिकित्सकों ने उसके परिजनों को बच्चों को भारत जाने की सलाह दी मगर झूला पुल बंद होने के कारण बच्ची के परिजन बेहद चिंता में आ गए।

इसके बाद नेपाल के ही कुछ समाजसेवियों ने पीड़ित परिवार की मदद करते हुए पिथौरागढ़ जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई तो भारतीय अफसरों ने 1 महीने की मासूम बच्ची को बचाने के लिए बिना देरी किए ही तत्काल रूप से झूला पुल खोलने का आदेश दे दिया। एसडीएम अनिल कुमार शुक्ला ने बताया कि दार्चुला महाकाली गांव पालिका निवासी जगदीश राम की एक माह की बच्ची की आंतों में गांठ है। बेहतर इलाज के लिए दार्चुला जिला मुख्यालय से उसे भारत के लिए रेफर किया गया था। दिल्ली में कार्यरत दार्चुला जिले के मल्लिकार्जुन गांव पालिका आठ निवासी व्यक्ति को नेपाल जाना था। झूला पुल बंद होने से वे धारचूला में रुके थे। नेपाल निवासी बीमार बच्ची के उपचार के लिए धारचूला का झूला पुल खोला गया। 20 मिनट के लिए झूला पुल खुलने पर भारत से 50 लोग नेपाल गए, जबकि नेपाल से 88 लोग भारत आए।

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