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प्रकाश डेंटल टिप्स: अकल के दाढ़ का दर्द होगा दूर, ऐसे किया जाता है पूर्ण उपचार

हल्द्वानी: अकल दाढ़ के नाम हर किसी से सुना ही होगा। ये दांत अधिकतर 18 से 24 साल की उम्र के बाद निकलती है। कई बार इसके निकलते वक्त दर्द होता है। वहीं कई बार दूसरे दाढ़ के पीछे जगह कम होने से अकल दाढ़ को निकलने का स्पेस नहीं मिलता है। इससे अकल दाढ़ तेड़े निकलने लगती है और पूरी तरह से निकल भी नहीं पाती है। इससे दांतों में सड़न पैदा होने लग जाती है। इससे दूसरे दांतों को भी नुकसान पहुंचता है और दांत की जड़ों में पीप जमना शुरू हो जाता है। इसे केवल दांत ही नहीं बल्कि कान में भी दर्द होने लगता है।

प्रकाश डेंटल हॉस्पिटल हल्द्वानी टिप्स

इस अवस्था में रोगी दंत चिकित्सक दांत को निकालने की सलाह देते हैं। यह माइनर सर्जरी के अंदर नहीं आता है क्योंकि अकल दाढ़ के आकार में फर्क होता है व उसकी रूट भी कई होती है। अन्य दांतों की तरह इसका आकार के बारे में डॉक्टर्स शियोर नहीं होते है इस कारण से अकल दाढ़ निकालना मुश्किल होता है।

 

इस स्टेट में रोगी को तो परेशानी नहीं होती है क्योंकि दांत व आधी जुबान ( local anesthesia) सुन रहती है। इस दांत को निकालना औरे से मुश्किल भी होता है, डॉक्टर्स कहते है कि अकल दाढ़ से जुबान और गाल चिपकी होती है। मशीन की आवाज से रोगी के हिलने से परेशानी हो सकती है।

अकल का दाढ़ निकालने की प्रक्रिया

यह हड्डी से कनेक्ट रहता है, इस कारण से यह दांत दूसरे दांतों की तरह नहीं निकाला जाता है। इनसिज़न लिया जाता है जिसके माध्यम से मसूढ़ों को कट किया जाता है। दूसरे मोलर से कट लेते हुए मसूड़ो को रिफलेक्ट किया जाता है। वहां दाढ़ हड्डी से जुड़ा होता है जो कि हड्डी को काटकर निकाला जाता है।

 

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