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बागेश्वर निवासी RJ काव्य ने खोला खुद का रेडियो स्टेशन, जहां गूंजेगी “उत्तराखंड की आवाज़”

हल्द्वानी: देशभर में अपनी प्रतिभा का परिचय देना उत्तराखंड वासियों की आदत रही है। बहुत से युवा, महिलाएं और बुज़ुर्ग महानुभाव भी उत्तराखंड से निकल कर देश में या फिर विश्व पटल पर अपना और हमारे प्रदेश का नाम ऊंचा करने से नहीं चूकते। खुशी अधिक तब होती है जब युवा लीक से हट कर किसी क्षेत्र में अपना नाम बनाते हैं।

पहाड़ के कवींद्र सिंह मेहता की कहानी भी बहुत ख़ास रही है। ज़्यादातर लोग कवींद्र को आरजे काव्य के नाम से जानते हैं। मशहूर आरजे काव्य ने जल्द ही उत्तराखंड में भी एक नए तरह का रेडियो स्टेशन शुरू करने की योजना बनाई है। जिसमें पहाड़ के हर जिले की गूंज सुनाई देगी। 24 घंटे चलने वाले रेडियो कार्यक्रम में देहरादून और नैनीताल के लिए तीन-तीन और बाकी जिलों के लिए एक-एक घंटे के एपिसोड किए जाएंगे।

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कवींद्र सिंह मेहता उर्फ काव्य, जो कि पिछले 12 सालों से रेडियो जॉकी के तौर पर काम कर रहे हैं, मूल रूप से बागेश्वर के रहने वाले हैं। देहरादून पहुंचने से पहले उन्होंने दिल्ली, कोलकाता, कानपुर, जोधपुर में खासा संघर्ष किया है। देहरादून आने के बाद बहुत कम समय में आरजे काव्य ने बतौर रेडियो जॉकी अपनी एक अलग पहचान बना ली। पहाड़ की कई प्रतिभाओं को आगे लाने का काम भी आरजे काव्य ने किया। उन्होंने कई लोकगायक, खिलाड़ी, संस्कृति प्रेमियों से लोगों को रूबरू करवा कर लोगों का मनोरंजन तो किया ही किया लेकिन सभी प्रतिभाओं को देशभर में एक पहचान भी दिलवाई।

अभी हाल में आरजे काव्य ने अपने पुराने रेड‍ियो स्‍टेशन को अलविदा कह दिया था। जिसके बाद उनके चाहने वाले उन्हें सुनने के लिए काफी तड़प रहे थे। ऐसे में अब जल्द ही उनका ‘ओहो रेडियो उत्तराखंड, मेरे हिल की धड़कन’ नाम से एक नया रेड‍ियो स्‍टेशन शुरू होने जा रहा है। बता दें कि इस रेडियों स्टेशन में मुख्य भूमिका आरजे काव्य की होगी मगर उनके अलावा और भी नए रेडियो जॉकी की आवाज दर्शकों और श्रोताओं को सुनने के लिए मिलेगी।

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आरजे काव्य ने रेडियो स्टेशन के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दून में करीब तीन साल उनके रेडियो एपिसोड के श्रोताओं में बड़ी संख्या में पहाड़ और घर से दूर रहने वाले उत्तराखंडी भी शामिल रहे। आरजे काव्य के अनुसार यही एक मुख्य कारण है कि वे उत्तराखंड में एक नया रेडियो स्टेशन लाने जा रहे हैं जिसमें 24 घंटे अलग-अलग कार्यक्रम चलेंगे। इसकी बदौलत नौकरी व बिजी शेड्यूल से निपटने के बाद लोग आनंद ले सकेंगे।

आरजे काव्य ने अपने चाहने वालों के नाम संदेश दिया। उन्होंने बताया कि कई लोग उनसे पूछ रहे थे कि अब दोबारा पहाड़ की बात कब सुनने को मिलेगी। जिसके बाद से ही वे नए प्रोजेक्ट पर लगे हुए थे। ‘ उत्तर का पुत्तर ‘ और ‘ एक पहाड़ी ऐसा भी ‘ नाम से प्रसिद्ध आरजे काव्य के मुताबिक प्रदेश के लोगों ने उन्हें नाम व सम्मान दोनों दिया है। इसलिए बहुत जल्द वे दोबारा पहाड़ के लोगों से पहाड़ की बात करना शुरू करने वाले हैं।

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