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श्वेता के चयन के बाद बोल रहा है थल,क्रिकेटर बेटी जरूर बनी है लेकिन नीली जर्सी मां कमला की होगी

हल्द्वानी: क्रिकेटर बनने का सपना हर घर का लड़का देखता है। लड़कियों को अभी भी हमारा समाज काफी हद तक काबू करना चाहता है। उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने हेतु दवाब भी बनाया जाता है। वहीं जब कोई बेटी खेल के मैदान पर शानदार प्रदर्शन कर देश के लिए खेलती है तो कॉम्पिटिशन कम होने की बात कहकर खुद को जस्टिफाई किया जाता है। उत्तराखंड में पिछले कुछ वर्षों से खेल के मैदान पर कई बेटियों ने नाम कमाया है। क्रिकेट का नाम हम सबसे पहले लेते क्योंकि इस खेल को देश में सबसे ज्यादा प्यार मिलता है।

उत्तराखंड की तीन बेटियों ( एकता बिष्ट, मानसी जोशी और श्वेता वर्मा) ने भारतीय टीम में शामिल होने का सपना पूरा किया है। यह कामयाबी इसलिए भी बड़ी हो जाती है क्योंकि राज्य को मान्यता मिले केवल 3 साल हुए हैं, और तीनों बेटियों ने यह रास्ता दूसरे राज्यों से खेल कर पूरा किया है। आज हम उत्तराखंड की नई स्टार के बारे में बारे में बात करें। पिथौरागढ़ थल की श्वेता वर्मा को चयन भारतीय टीम में हुआ है। वह साउथ अफ्रीका के खिलाफ वनडे टीम के लिए चुनी गई हैं। सभी मुकाबले लखनऊ में खेले जाने हैं।

थल बाजार निवासी श्वेता वर्मा के चयन के बाद पूरा राज्य उन्हें बधाई दे रहा है। श्वेता के क्रिकेट बनने का सपना देखा पिता ने था लेकिन पूरा मां ने किया। श्वेता की क्रिकेट फैन बनने की कहानी पिता से शुरू हुई है। पिता क्रिकेट के प्रशंक थे। वह क्रिकेट खेलते व देखते थे। श्वेता को भी उनकी साथ मुकाबले देखने की आदत थी और धीरे -धीरे ये प्यार में बदल गई। श्वेता को बचपन से ही क्रिकेट की पक्की धुन थी।

वह 5साल की उम्र से ही क्रिकेट खेलने लगी थी।  बेटी को क्रिकेटर बनना था तो पिता और मां ने पूरा सहयोग किया। उसे खेलने के लिए पिथौरागढ़ से बाहर भेजा …. इस बीच पिता मोहन वर्मा का निधन हो गया। बता दें कि श्वेता के बड़े भाई मोहित की थल में कॉस्मेटिक्स की दुकान है। और सभी लोग उनकी दुकान पर बधाई देने पहुंच रहे हैं।

मां कमला वर्मा के ऊपर घर की जिम्मेदारी आ गई और पति ने अंतिम दिनों में बेटी को क्रिकेटर बनाने का वादा उनसे लिया था। एक मीडिया हाउस को कमला वर्मा ने बताया कि डेढ़ साल पहले उनके पति मोहन की मृत्यु हो गई थी। अंतिम दिनों में वह कहते थे कि अब बेटी को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी तुम्हारी ही है। उन्होंने ठान लिया था कि उनके सपने को वह पूरा करेंगी।

घर चलाने के लिए उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में भी काम किया। स्कूल से पढ़ाई पूरी हुई तो श्वेता को अल्मोड़ा भेजा.. वहां पर कोच लियाकत अली ने उन्हें निखारा और फिर वह काशीपुर हाईलेंडर एकेडमी चले गई, जहां उन्होंने आधुनिक तरीके से क्रिकेट की बारिकियां सिखी।

श्वेता की मेहनत रंग लाई और उनका चयन उत्तर प्रदेश घरेलू टीम में हो गया। वहां पर अच्छे से श्वेता ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा और उन्हें भारतीय टीम में बतौर विकेटकीपर बल्लेबाज एंट्री मिल गई। मां कहती हैं कि श्वेता ने भी मां की मेहनत और पिता के सपने को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत की। जब बेटी के चयन की खबर सामने आई तो दोनों के आंसू निकल गए।

वह कहती हैं कि एक मलाल जिंदगी भर रहेगा कि श्वेता के पिता उसे नीली जर्सी पहनने खेलता देखना चाहते थे लेकिन अब वह इस दुनिया में नहीं हैं। मां कमला ने उम्मीद जताई कि श्वेता टीम में अच्छा प्रदर्शन कर देश का नाम जरूर रोशन करेगी। पूरे उत्तराखंडवासियों को उन्हेंने संदेश दिया है कि बेटियों को हमेशा आगे बढ़ाने के लिए उनके साथ खड़े रहें।

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