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Video छोटा पैकेट बड़ा धमाका: हल्द्वानी के 11 वर्षीय इस युवा बल्लेबाज ने देहरादून में किया कमाल

हल्द्वानी: क्रिकेट की दिवानगी के लिए हमारा देश किसी भी हद तक जा सकता है। भारत क्रिकेटर बनने का सपना देखने वालों की संख्या सबसे अधिक होगी। यह सपना बेहद आसानी से दिखाई देता है लेकिन जो इसे पूरा करने की ओर कार्य शुरू करते है उनके लिए ये हर दिन चुनौती लेकर आता है। ऐसा इसलिए कह रहे है क्योंकि जिस देश की आबादी 125 करोड़ हो,जहां क्रिकेट को धर्म माना जाए और केवल 15-20 खिलाड़ियों को देश की नीली जर्सी पहनने का मौका मिले। भारत के हर कोने में युवा खिलाड़ी अपने नीली जर्सी के सपने की तरफ बढ़ रहे है, ऐसा ही एक राज्य है उत्तराखण्ड जहां क्रिकेट प्रतिभा की कमी नहीं है, कमी है केवल बीसीसीआई के उस मान्यता की जिससे मिलने पर घरेलू स्तर पर उत्तराखण्ड क्रिकेट का जन्म होगा। युवा दूसरे स्टेट से खेलने के बजाए अपने राज्य से खेलेंगे। हल्द्वानी शहर का 11 साल का युवा बल्लेबाज हर टूर्नामेंट में अपनी बल्लेबाजी से लोगों का दिल जीत रहा है। देखने वाला उसे बोल रहा है कि तेरा करियर क्रिकेट बनाएगा।

इस 11 साल के खिलाड़ी का नाम है रक्षित डालाकोटी (हिमालयन क्रिकेट एकेडमी) जिसे शहर का क्रिकेट जगत गब्बर के नाम से जानता है। रक्षित ने साल 2018 सीजन के शुरूआत से शानदार फॉर्म जारी रखी है। इस सीजन में वह हल्द्वानी युवा क्रिकेट सर्कल में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज है। 11 साल का युवा रक्षित अंडर-11 से लेकर अंडर-17 प्रतियोगिताओं में शिरकत करता है। इस बार रक्षित के बल्ले ने राजधानी में अपना हुनर दिखाया जो ये बच्चा सुर्खियां बन गया। रक्षित डालाकोटी ने देहादून में खेले गए 6th अंडर-14 हॉट वैदर टूर्नामेंट में शानदार बल्लेबाजी की ।

वह इस टूर्नामेंट में नोवा क्रिकेट एकेडमी की ओर से खेले। उन्होंने एसीए के खिलाफ सेमीफाइनल में शानदार 66 रनों की पारी खेली थी। भले ही टीम एक रन से सेमीफाइनल हार गई थी लेकिन रक्षित की छोटी उम्र में बड़ी अप्रोच वाली बल्लेबाजी ने उन्हें हीरो बना दिया। प्रतियोगिता में उन्हें अप्कमिंग प्लेयर का अवॉर्ड मिला। रक्षित की इस कामयाबी ने एक बार फिर साबित किया कि उत्तराखण्ड शानदार खिलाड़ियों का धनी है और इस तरह के खिलाड़ियों को ऊंचे स्तर पर पहुंचाना है तो राज्य क्रिकेट को बीसीसीआई से मान्यता मिलना जरूरी है।

रक्षित की इस कामयाबी से पिता धीरेंद्र डालाकोटी और कोच दान सिंह कन्याल दोनो खुश है। पिता ने रक्षित की कामयाबी का श्रेय कोच को दिया। वहीं कोच दान सिंह कन्याल ने कहा कि रक्षित के अंदर हुनर है, उस हुनर को वो परिश्रम से सिंच रहा है। 11 साल की उम्र में वो क्रिकेट को समझने लगा है और यह एक अच्छा संकेत है। उम्मीद है कि रक्षित अपनी कामयाबी से मिल रही ऊर्जा का सही तरह से इस्तेमाल करेगा।

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