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पहले शतक का 15वां जन्म दिन मुबारक हो महेंद्र सिंह धोनी

हल्द्वानी: महेंद्र सिंह धोनी भले ही क्रिकेट ( भारतीय जर्सी में ) के मैदान पर दोबारा दिखाई ना दें लेकिन इस नाम के बिना भारतीय क्रिकेट टीम के इतिहास की कल्पना ही नहीं होगी। एक ऐसा खिलाड़ी व कप्तान जिसने भारत को ना जाने कितनी यादें दी। भारत को सैकड़ों यादें देने वाले खिलाड़ी के लिए 5 अप्रैल का दिन काफी बड़ा है। इस दिन धोनी के जिंदगी बदल दी थी। कप्तान सौरभ गांगुली का एक फैसला इतना चमत्कार करेगा ये खुद दादा ने भी नहीं सोचा था।

खुद दादा ने एक इंटरव्यू में बताया था कि पाकिस्तान के खिलाफ विशाखापट्टम में भारत ने टॉस जीतने के बाद बल्लेबाजी चुनी थी। धोनी का नंबर 7 था लेकिन मुझे उसे खिलाड़ी बनाना था। शॉर्ट्स में बैठे धोनी को मैंने तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिए कहा, उसने रिप्लाई दिया आप, मैंने कहा मैं 4 पर खेलूंगा। उस खिलाड़ी ने उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। महेंद्र सिंह धोनी का वह पांचवा मैच था। इससे पहले तीन मैच बांग्लादेश ( 2004 दिसंबर) के खिलाफ सीरीज़ में उन्होंने खेले थे।

इस सीरीज़ में भारत को बांग्लादेश के हाथों पहली बार हार का सामना करना पड़ा था। पाकिस्तान के खिलाफ ये वाइजेक में दूसरा वनडे था ( 5 अप्रैल 2005) और धोनी ने 148 बना डाले। 15 चौके और 4 छक्के इस पारी में उन्होंने लगाए थे। दादा ने खुद कहा कि ऐसे ही प्लेयर बनता है और हमने वहीं किया। जो दादा ने धोनी के साथ किया वह धोनी ने रोहित के साथ किया। जिस खिलाड़ी की टीम में जगह नहीं बन रही थी उसे सलामी बल्लेबाज बनाया और वो बल्लेबाज क्या कर रहा है किसी को बताने की जरूरत नहीं हैं।

लंबे बाल वाला धोनी धीरे-धीरे टीम इंडिया का सबसे बड़ा मैच विनर बन गया। धोनी ने इसी सीजन में श्रीलंका के खिलाफ 183 रनों की नाबाद पारी खेली थी। बीच में उन्होंने टीम को जिंबावे में मैच जिताए। टीम उन पर विश्वास करने लगी थी। पाकिस्तान दौरे पर जब टीम इंडिया गई थी तो वहां धोनी ने कई शानदार पारी खेली और वनडे में अपने हजार रन पूरे किए थे। धोनी के बैट से वनडे में 10 शतक निकले और 73 फिफ्टी निकली। उन्होंने 297 पारियों में 10773 बनाए।

कुमार संगकारा के बाद 10 हजार रन बनाने वाले वह दुनिया के दूसरे विकेटकीपर बल्लेबाज बनें। धोनी की कप्तानी में भारत ने दो विश्व कप जीते, एक चैंपियंस ट्रॉफी जीती। इतना ही नहीं दुनिया की सबसे बड़ी लीग आईपीएल की ट्रॉफी भी धोनी ने अपनी कप्तानी में अपनी टीम चेन्नई सुपरकिंग्स को तीन बार चैंपियन बनाया। टेस्ट में भी उन्होंने भारत को नंबर वन बनाया। न्यूजीलैंड में टेस्ट सीरीज जीती। ऑस्ट्रेलिया का भारत में दो बार क्लीनस्वीप किया।

कहते हैं ना एक फैसला काफी कुछ बदलता है। वहीं दादा के साथ हुआ। दादा के फैसला ने भारतीय टीम को धोनी दिया और धोनी के फैसले ने भारतीय टीम को रोहित शर्मा दिया। आज धोनी के पहले शतक को 15 साल हो गए हैं लेकिन ऐसा लगता है कि लंबे बाल वाले खिलाड़ी ने ये पारी अभी ही खेली हो।

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