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शह और मात के खेल में पहाड़ की बेटी का जलवा, गोल्ड पर जमाया कब्जा

देहरादून:  बेटी ने एक बार फिर पूरे देवभूमि को अपनी कामयाबी से गौरवान्वित महसूस करवाया है। पहाड़ की बेटी जसमायरा गुंबर ने 14वें एशियन स्कूल चेस टूर्नामेंट में हिंदुस्तान के लिए गोल्ड मेडल जीता है। यह प्रतियोगिता श्रीलंका में खेली गई थी। जसमायरा ने अंडर-9 गर्लस कैटेगिरी की टीम इवेंट में देश के लिए गोल्ड पर कब्जा जमाया।

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छोटी उम्र में पहाड़ की बेटी के इस कारनामें ने पूरे देवभूमि को खुशी से झूमने में मजबूर किया है। हो भी क्यों कि ना जिस समाज में बोटियों को आगे बढ़ने से रोका जाता है उस समाज से निकलकर 9 साल की जसमायरा ने मिसाल कायम की है। उन्होंने इस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी कामयाबी हासिल की है। उन्होंने बताया कि भारत से 38 गल्र्स और ब्वॉयज की टीम श्रीलंका गई थी। टीम में अंडर-9 के अलावा 11, 13, 15, 17 कैटेगरी के खिलाड़ी भी शामिल थे।

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जसमायरा दूहरादून की रहने वाली है। दून के कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी में चौथी कक्षा में पढ़ती है।  जसमायरा के पिता सौरभ गुंबर का दून में यूनिफार्म का व्यापार करते हैं। बेटी की कामयाबी से पूरे परिवार में खुशी का माहौल है। पिता ने बताया कि  जसमायरा छह साल की उम्र से चेस खेल रही हैं। वह तीन साल से गर्लस ग्रुप और अपनी ऐज कैटेगरी में स्टेट चैंपियन रह रही है। जसमायरा की इंटरनेशनल रेटिंग 1023 है। पिता सौरभ गुंबर कि जसमायरा का ये पहला इंटरनेशनल मेडल है और उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है।

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पिछले कुछ वक्त से उत्तराखण्ड के युवाओं ने खेल में शानदार प्रदर्शन कर देश व राज्य का नाम विदेशों में रोशन किया है। पहाड़ के युवाओं ने दिखाया है कि कम संसाधनों के बाद उनके पास कामयाबी का आसमान छूने का दमखम है। नौ साल की जयमायरा ने भी बताया कि लड़कियों के पास भी वो हुनर व जज्बा है जो उनकी कामयाबी की स्क्रिप्ट लिख सकती हैं।

 

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