Uttarakhand News

उत्तराखंड:कमजोरी को मात देकर दिलराज कौर ने देश के लिए जीता इंटरनेशनल पदक

हल्द्वानी:हर्ष रावत: राज्य के कई ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने बिना संसाधन के भी अपने को पहचान दी। कई बार वक्त व हालात के कठोर रवैये का भी सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आज उन्हें पूरा समाज सलाम करता है। उत्तराखंड की दिलराज प्रीत कौर का नाम भी इस लिस्ट में शामिल हैं। साल 2017 में पहली बार चर्चा में आया जब तत्कालीन सीएम हरीश रावत ने पहले योग दिवस पर दिलराज को उत्तराखंड में योग का ब्रांड एम्बेसडर घोषित किया था। दिलराज कौर भारत की पहली भारतीय महिला पैरा इंटरनेशनल पिस़्टल शूटर हैं।

यह भी पढ़े:उत्तराखंड में शूटिंग के पलों को दुनिया के सामने लाए बॉलीवुड के अभिनेता शाहिद और मृणाल

यह भी पढ़े:कुमाऊं के हाथ एक बार फिर लगी निराशा, अल्मोड़ा को नहीं मिली MBBS की मान्यता

अपने करियर में नेशनल प्रतियोगिताओं में 28 गोल्ड मेडल और एक इंटरनेशनल सिल्वर मेडल भी हासिल किए हैं। उन्होंने कभी भी अपनी कमजोरी को कामयाबी की रास्ते की रुकावत नहीं बनने दिया। उनकी कामयाबी को भारत सरकार ने भी सलाम किया और साल 2018 में Special Educater कोर्स करने के लिए दुबई भेजा। पैरा गेम्स के लिए उनका जर्मनी के लिए भी चयन हुआ। साल 2019 में उन्होंने Special Educater कोर्स के लिए दिल्ली में भारत का प्रतिनिधित्व किया, जिसमें 12 देशों ने भाल लिया था।

दिलराज प्रीत कौर की कामयाबी

प्रथम भारतीय महिला Jury/B Judge
प्रथम भारतीय महिला Technical Officer
प्रथम भारतीय महिला Range Officer
प्रथम भारतीय महिला Special Educater

दिलराज प्रीत कौर का कहना, मुझे रुकना पसंद नहीं

यह भी पढ़े:उत्तराखंड के महान गायक का गाना गाकर मैथिली ठाकुर ने जीता करोड़ों देवभूमिवासियों का दिल

यह भी पढ़े:नैनीताल रामगढ़ के फल विदेशों में भी बनाएंगे पहचान, जल्द खुलेगी फ्रूट प्रोसेसिंग यूनिट

दिलराज प्रीत कौर का सफर बिल्कुल भी आसान नहीं रहा। कमजोरी के वजह से कई लोगों ने उनके आगे बढ़ने पर सवाल खड़े किए होंगे लेकिन उन्होंने इन सभी को नजरअंदाज किया। तभी तो एक सामान्य खिलाड़ी और चैंपियन खिलाड़ियों में फर्क होता है। दिलराज प्रीत कौर जैसे खिलाड़ी कुछ नहीं बल्कि पीढ़ियों को प्रेरित करते हैं। दिलराज प्रीत कौर के जज्बे ने ना जाने कितने बच्चों को अपने पंसदीदा क्षेत्र में करियर बनाने के लिए ऊर्जा प्रदान की होगी।

यह भी पढ़े:केदारबाबा से मिलने पहुंच रहा है तीर्थयात्रियों का सैलाब,हेली सेवा की बुकिंग लगभग पैक

यह भी पढ़े:नैनीताल के कई इलाकों में फैला कूड़ा, पालिका की कार्यशैली पर उठे सवाल

वह कहती हैं कि कमजोरी हर किसी की होती है लेकिन उसे ताकत जो बना पाता है वह आगे निकल जाता है। मैंने कुछ ऐसा ही किया और कामयाबी मिली ने मुझे एक ही संदेश दिया कि अगर अपने काम से पीढ़ी की सोच को बदलना है तो इस सफर को रुकने नहीं देना है। वह कहती है कि जब भी वह युवाओं से मिलती हैं तो संसाधन का बहाना बनाने के बजाए अपने को निखारने की बात कहती है।


To Top
Ad