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उत्तराखंड के पूर्व कप्तान तन्मय श्रीवास्तव ने क्रिकेट को 30 साल की उम्र में अलविदा कहा

हल्द्वानी: पिछले साल उत्तराखंड के लिए बतौर प्रो खिलाड़ी खेलने वाले और रणजी ट्रॉफी/सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में कप्तानी करने वाले तन्मय श्रीवास्तव ने तीस साल की उम्र में क्रिकेट को अलविदा कह दिया। उन्होंने इस बारे में अपने ट्वीटर अकाउंट में पोस्ट डाला और जानकारी दी। तन्मय साल 2008 में विराट कोहली की अगवाई में अंडर-19 चैंपियन बनने वाली टीम के सदस्य थे। उस टूर्नामेंट में उन्होंने भारत के लिए सबसे ज्यादा रन बनाए थे।

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तन्मय मलेशिया में 2008 में खेले गए अंडर-19 विश्व कप में 262 रन के साथ टूर्नमेंट के टॉप-स्कोरर थे। उन्होंने फाइनल में 43 रन का अहम योगदान दिया था। तन्मय ने ट्वीट किया, ‘यह मेरे क्रिकेट करियर को अलविदा कहने का समय है। मैंने यादें और दोस्त बनाने के साथ जूनियर क्रिकेट, रणजी ट्रोफी और अंडर -19 वर्ल्ड कप में अच्छा प्रदर्शन किया जिससे टीम के साथ कप लेकर घर (देश) लौटा।’ अंडर-19 टीम को विश्वकप जीताने में खास भूमिका निभाने वाले इस बल्लेबाज के करियर उड़ान नहीं मिल पाई। वह उत्तर प्रदेश के लिए घरेलू क्रिकेट खेले लेकिन इसके बाद उन्हें टीम से ड्रॉप कर दिया।

साल 2019 में उन्हें क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड ने बतौर प्रो खिलाड़ी अपनी टीम में चुना। रणजी ट्रॉफी और सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में उन्होंने टीम की कमान भी संभाली थी। विजय हजारे में उत्तराखंड के लिए उन्होंने सबसे ज्यादा 7 मुकाबलों में 340 रन बनाए, जिसमें तीन फिफ्टी और एक शतक शामिल था। सैयद मुस्ताक अली ट्रॉफी में भी उन्होंने सबसे ज्यादा 4 मुकाबलों में 149 रन बनाए थे। उनका औसत 74.50 का रहा था लेकिन 2020 में उनके कॉट्रेक्ट को संघ ने आगे नहीं बढ़ाया। बता दें कि साल 2018 में तन्मय ने बीसीसीआई लेवल ए कोचिंग कोर्स किया और वह लेवल बी के लिए भी क्वालीफाई किया था। यह कहना गलत नहीं होगा कि तन्मय अब कोचिंग के क्षेत्र में अपना करियर बनाए।

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श्रीवास्तव ने प्रथम श्रेणी के 90 मैचों में 10 शतकों और 27 अर्धशतकों की मदद से 4,918 रन बनाए हैं। वह हालांकि सीनियर भारतीय टीम में जगह नहीं बना सके। आईपीएल में उन्होंने किंग्स इलेवन पंजाब और पूर्व टीम कोच्चि टस्कर्स का प्रतिनिधित्व किया था।  तन्मय ने महज 3 आईपीएल पारियां खेली और उनके बल्ले से 8 की औसत से 8 ही रन निकले। 2009 के बाद उन्हें किसी आईपीएल टीम ने मौका नहीं दिया।

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